महाराष्ट्र के ग्रामीण विकास मंत्री जयकुमार गोरे ने आज शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र ‘सामना’ के कार्यकारी संपादक संजय राउत और दो अन्य के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस पेश किया और उन पर उन्हें बदनाम करने का आरोप लगाया। संजय राउत के अलावा, उन्होंने एनसीपी (एसपी) विधायक रोहित पवार और तुषार खरात नाम के एक डिजिटल पत्रकार के खिलाफ भी विशेषाधिकार हनन का नोटिस पेश किया है। विपक्ष की तरफ से एक महिला को परेशान करने और उसे आपत्तिजनक तस्वीरें भेजने के आरोपों पर उनके इस्तीफे की मांग के एक दिन बाद मंत्री जयकुमार गोरे ने ये नोटिस सभी को भेजा है। मंत्री जयकुमार ने विपक्ष के तमाम आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि अदालत ने उन्हें 2019 में सभी आरोपों से बरी कर दिया था और निर्देश दिया था कि सामग्री नष्ट कर दी जाए।
भाजपा के मंत्री ने कहा कि एक पुराने मुद्दे को उठाकर उनकी छवि खराब की गई। जयकुमार गोरे ने कहा, ‘अदालत ने मुझे 2019 में बरी कर दिया था और मुझे बदनाम करने का जानबूझकर प्रयास किया गया। यह अदालत की अवमानना भी है।’ इस दौरान उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर वे दोषी हैं तो वे किसी भी सजा का सामना करने के लिए तैयार हैं।
इस मामले में उनके वरिष्ठ पार्टी सहयोगी सुधीर मुनगंटीवार ने विधानसभा अध्यक्ष से विशेषाधिकार हनन के नोटिस को स्वीकार करने और चल रहे बजट सत्र के अंतिम दिन 26 मार्च से पहले इसपर निर्णय लेने का आग्रह किया। जबकि मामले में स्पीकर राहुल नार्वेकर ने कहा कि उन्होंने नोटिस स्वीकार कर लिया हैं और उन्हें सदन की विशेषाधिकार समिति को भेज दिया है।