बहन-भाई के पवित्र त्योहार रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) का पर्व इस बार 30 अगस्त बुधवार को मनाया जाएगा। इस दिन बहनें भाई की कलाई पर राखी बांधकर उसकी लंबी उम्र की कामना करती हैं और भाई बहनों की रक्षा करने का वचन देते हैं। यह पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यह लगातार दूसरा वर्ष है जब रक्षाबंधन पर भद्रा का साया रहेगा। 30 अगस्त को पूर्णिमा लगने के साथ ही रात 9 बजकर 2 मिनट तक बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी नहीं बांध पाएंगी क्योंकि यह समय शुभ नहीं माना गया है। शनिदेव की बहन भद्रा का स्वभाव रौद्र माना जाता है, ऐसे में भद्रा काल में राखी बांधना अशुभ होता है। राखी बांधने का शुभ समय 30 अगस्त रात 9 बजकर 2 मिनट से रात 12 बजकर 28 मिनट तक है।
ज्योतिषाचार्य एवं श्री श्याम मंदिर फतेहाबाद के पुजारी राजेश शर्मा व सोनू शर्मा के अनुसार लगातार दूसरे वर्ष रक्षाबंधन पर भद्राकाल रहेगा और राखी बांधने का सर्वश्रेष्ठ समय रात में करीब 3 घंटे रहेगा। अगले दिन उदिया तिथि में पूर्णिमा रहने के कारण रस्मी तौर पर भी राखी बांधी जा सकेगी। ज्योतिषाचार्यो ने बताया कि शास्त्र सम्मत सावन माह की पूर्णिमा पर अपराह्न काल में भद्रा रहित समय में राखी बांधना श्रेष्ठ माना गया है। पूर्णिमा 30 अगस्त की सुबह 10:59 बजे से 31 अगस्त की सुबह 7:06 बजे तक रहेगी। वहीं, भद्रा काल 30 अगस्त को पूर्णिमा लगने के साथ ही रात 9:02 बजे तक रहेगा। ऐसे में शास्त्रों के अनुसार रात 9:02 बजे से मध्य रात्रि 12:28 बजे तक बहनें भाई को राखी बांध सकेगी। पंडित राजेश शर्मा व पंडित सोनू शर्मा के मुताबिक किसी भी पर्व को मनाने के लिए सूर्योदय के बाद 2 घंटे 24 मिनट तक उस तिथि का होना जरूरी है। यह अवधि कम होने पर एक दिन पूर्व प्रदोष काल में भद्रा रहित समय में वह पर्व मनाया जा सकता है। 31 अगस्त को पूर्णिमा सुबह 7:06 बजे तक रहेगी। दोनों ज्योतिषों के अनुसार शास्त्रसम्मत 30 अगस्त को प्रदोष काल (शाम) में भद्रा खत्म होने के बाद रक्षाबंधन मनाया जाना चाहिए।
शनिदेव की बहन है भद्रा
शनिदेव की बहन भद्रा का स्वभाव रौद्र माना जाता है, ऐसे में भद्रा काल में राखी बांधना अशुभ होता है। राखी बांधने का शुभ समय 30 अगस्त रात 9 बजकर 2 मिनट से रात 12 बजकर 28 मिनट तक है।
सावन के आखिरी पूर्णिमा पर मनाया जाता है रक्षाबंधन का पर्व
पंडित राजेश शर्मा व सोनू शर्मा के अनुसार अगर ज्यादा जरूरी हो तो गौधुली बेला में राखी बांधी जा सकती है। इसके अलावा भद्रा की पुच्छकाल में 30 अगस्त की शाम 5:19 से 6.31 के बीच भगवान कृष्ण के समक्ष दीप जलाकर राखी बांधी जा सकती है। राखी बांधने के बाद भाई अपनी क्षमता अनुसार बहन को कुछ न कुछ उपहार में जरूर दें। बहन को खाली हाथ न रहने दें। ऐसा करने से लक्ष्मी नाराज होती है। भद्राकाल में राखी न बांधे, इससे भाई के जीवन पर बुरा असर पड़ता है। सावन माह के आखिरी पूर्णिमा पर राखी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। कई लोग घरों में भगवान सत्यनारायण की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं।