शेयर बाजार में लोग पैसे बनाने के लिए जानकारी के अभाव में कहीं भी दांव लगा देते हैं, जिसके बाद अधिकतर निवेशकों के लिए ये दांव उलटा पड़ता है, यानी नुकसान उठाना पड़ता है. फिलहाल इसी तरह का मामला रिलायंस कैपिटल के इक्विटी निवेशकों का साथ हुआ है. अनिल अंबानी की कर्ज में डूबी कंपनी रिलायंस कैपिटल को NCLT के जरिये हिंदुजा समूह की कंपनी इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स ने खरीदी है. जिसके बाद नए ऑनर ने रिलायंस कैपिटल लिमिटेड को स्टॉक मार्केट से डी-लिस्ट कराने का फैसला किया है. इस फैसले के साथ ही शेयर बाजार में रिलायंस कैपिटल के शेयर ट्रेडिंग बंद हो गई है. रिलायंस कैपिटल के शेयरों की आखिरी ट्रेडिंग 26 फरवरी को हुई थी, उस दिन शेयर की कीमत 11.90 रुपये थी. डी-लिस्ट कराने का ये मतलब होता है कि अब रिलायंस कैपिटल के शेयरों की न तो ट्रेडिंग होगी और न ही निवेशक शेयर को होल्ड कर सकेंगे.
यानी जिन निवेशकों के पास रिलायंस कैपिटल के शेयर होंगे, उसका वैल्यूएशन जीरो हो गया है. उनका सारा पैसा खत्म हो चुका है. क्योंकि शेयर डी-लिस्ट कराने के फैसले के साथ ही उसकी कीमत मौजूदा समय में कुछ भी रहे, उसे जीरो कर दिया जाता है.
26 फरवरी में Reliance Capital के Share की कीमत 11.90 रुपये थी. लेकिन अब वो जीरो हो चुका है. शेयर धारकों को रिटर्न में अब कुछ भी नहीं मिलने वाला है. हालांकि ये सब मार्केट रेगुलेटर सेबी से नियम के अधीन हुआ है. इसलिए लोगों को इस तरह के शेयर से हमेशा बचने की सलाह दी जाती है. खासकर उन कंपनियों के शेयरों को लेकर जिनका मामला NCLT में चल रहा हो.