शुभांशु शुक्ला मुस्कराए, तब मां को मिला सुकून,लखनऊ में बोलीं- बेटे का दोबारा जन्म हुआ

शुभांशु शुक्ला के 18 दिन बाद अंतरिक्ष से सकुशल धरती पर लौट आए हैंसीएमएस में बेटे की लाइव लैंडिंग का प्रसारण देख रही माता और पिता बेटे को कैप्सूल से बाहर निकलने के लिये टकटकी लगाए हुए थेयह क्षण परिवार के लिए भावुक और गर्व से भर देने वाला वाला था। पिता शंभू दयाल शुक्ला तिरंगा लहराकर बेटे का हौसला बढ़ा रहे थे लेकिन हाथ जोड़े खड़ी मां आशा शुक्ला की आंखों से आंसू बंद होने का नाम नहीं ले रहे थे। शुभांशु को कैप्सूल से बाहर निकलता देख मां आशा शुक्ला रो पड़ीं।उन्होंने पति के सिर पर कंधा रख दियापति और बहन ने मां को संभाला। शुभांशु के सकुशल लौटने का लाइव प्रसारण देख रहे शुभांशु के माता पिता, बहन के साथ ही सीएमएस के छात्र और शिक्षकों ने खुशी जतायी। माता-पिता ने केक काटकर जश्न मनाया। पिता ने कहा आज का दिन बहुत खास है। उन्होंने कहा कि शुभांशु अब सिर्फ मेरा लाल नहीं बल्कि वह पूरे देश का लाल हो गया है। जल्द से जल्द बेटे से मिलना चाहते हैं। मां आशा ने कहा आज बेटा दोबारा जन्म लेकर आया है।

सीएमएस ने कानपुर रोड स्थित शाखा में सोमवार को शुभांशु के अंतरिक्ष से धरती पर सकुशल वापसी का लाइव प्रसारण की व्यवस्था की थीशुभांशु के माता पिता, बहन, भांजी समेत परिवार के दूसरे सदस्य, शिक्षक और छात्र सभी मौजूद थेसभी शुभांशु के संकुशल वापसी की दुआ और प्रार्थना कर रहे थेशुभांशु के यान से बाहर निकलने पर सभी ने खड़े होकर आदर और सम्मान दिया

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने शुभांशु के अंतरिक्षत से धरती पर सकुशल आने पर पिता शंभू दयाल को फोन कर समूचे परिवार को बधाई दी। रक्षामंत्री ने शुभांशु को शुभकानाएं दी। उन्होंने पिता से कहा शुभांशु ने देश का नाम और मान बढ़ाया है। समूचे देश वासियों को गर्व है। पिता शुभू दयाल ने कहा कि पूरे देश का आभार। बेटे के साथ सभी देश वासियों की दुआएं थी। तभी उसका यह मिशन पूरा हुआ है।

मां आशा शुक्ला ने कहा कि सोमवार को जब से पता चला कि बेटा वापस धरती पररहा हैबहुत चिंता हो रही थीघबराहट थी। आज उसे सकुशल देखकर भावुक हो गईआंसू नहीं रोक पायीअब बहुत शकुन मिला हैमानो बेटे का नया जन्म हुआ है

पिता शंभू दयाल ने कहा कि परिवार ने रात भर भगवान से उसकी सलामती की प्रार्थना की। मंगलवार सुबह सुंदरकांड का पाठ किया। सोमवार की रात बहुत भारी रही। नींद नहीं आयी। हर वक्त बेटे के बारे में सोच रहे थे। उसी की चिंता लगी थी। भगवान से यही प्रार्थना कर रहे थे कि बेटा सुरक्षित धरती पर उतर जाए। वो जिस तरीके से एक बंद कैप्सूल में आ रहा था, उसे सोचकर घबराहट और डर लग रहा था।

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