बिलासपुर : दुर्गापूजा उत्सव के अंतिम दिन यानी विजयादशमी के अवसर पर माता को विदाई दी । बिलासपुर में भी 9 दिनों तक विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने के बाद माता की विदाई की
मिलन मंदिर में हुआ कार्यक्रम
खास कर बंगाली समाज के द्वारा यहां मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना कर सिंदूर खेला की रस्म निभाई गई। शहर के मिलन मंदिर में पिछले 75 सालों से बंगाली समाज के द्वारा यह रस्म दुर्गा जी पंडालों में भी निभाई जा रही है। इस रस्म को सौभाग्य का प्रतीक भी माना जाता है। इसके अलावा मान्यता ये भी है कि सिंदूर खेला से पति की आयु भी बढ़ती है।
बंगाली समाज इस पर्व को विशेष तौर पर मनाता है
दरअसल,नवरात्रि के दसवें दिन, बंगाली समाज में सिंदूर खेला की विशेष मान्यता है। कहा जाता है की दुर्गा मां की विदाई का ये दिन होता है, ऐसे में महिलाएं दुर्गा पंडाल में इकट्ठा होती है और ये पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।
सबसे पहले महिलाएं मां दुर्गा को सिंदूर लगाती हैं। उसके बाद सभी महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर जश्न मनाती है। यह परंपरा 500 साल से अधिक पुरानी है। महिलाएं सुखी जीवन और परिवार की खुशहाली के लिए मां दुर्गा के चरण को स्पर्श कर आशीर्वाद लेती हैं।
पान के पत्तों से मां को लगाया जाता है सिंदूर
सिंदूर उत्सव के दौरान माता के गालों से पान के पत्तों का स्पर्श किया जाता है।