सिंगापुर की धर्मगुरु वू मे हो को साढ़े दस साल जेल की सजा हुई है। कोर्ट ने उन्हें अपने भक्तों के साथ धोखाधड़ी करने और उन्हें चोट पहुंचाने समेत 5 आरोपों में दोषी पाया। वू मे हो पर आरोप है कि वह अपने भक्तों का ब्रेनवॉश कर उन्हें बताती थी कि वह एक देवी है। अगर भक्त उसके आदेश का पालन नहीं करते तो हो उन्हें क्रूर सजा देती थी। वह भक्तों को उनका मल खिलाती थी और प्लास से उनके दांत निकालने को कहती थी। यही नहीं, वह भक्तों पर कैंची से वार करती थी और उन्हें इमारत की दूसरी मंजिल से कूदने को भी कहती थी। वू मे हो खुद को भारतीय धर्मगुरु श्री शक्ति नारायणी अम्मा का भक्त बताती है। श्री शक्ति नारायणी अम्मा के भक्त उनको देवी नारायणी का पहला ज्ञात अवतार बताते हैं। वू मे हो सिंगापुर में साल 2012 से 30 भक्तों के समूह वाला एक आश्रम चला रही है। लोग उस पर विश्वास करें, इसके लिए वह हमेशा देवी जैसी साड़ी और मेकअप करके रहती है। वू मे हो साल 2012 में ही श्री शक्ति नारायणी अम्मा से सीधे तौर पर जुड़ी थी। इस दौरान उसने देवताओं और आत्माओं से बात करने वाली देवी के रूप में खुद की पहचान बनानी शुरू की। इसके बाद उसने अपने भक्तों से खुद को भगवान कहने को कहा। कोर्ट में वू मे हो के भक्तों ने बताया कि हम अपनी बीमारियां ठीक करने और जीवन बेहतर करने के लिए उसके पास जाते थे। इसी दौरान वू मे हो लोगों से पैसे मांगती थी। वह कहती थी कि उन्हें अपने ‘बुरे कर्म’ को साफ करने के लिए भारत में अम्मा को पैसे भेजने होंगे। इस तरह वू ने भक्तों से 43 करोड़ रुपए ठगे।
