प्रख्यात साहित्यकार स्व.श्रीकांत वर्मा के रचनाकर्म पर केंद्रित ‘रंग श्रीकांत’ में वक्तव्य, कविताओं की दृश्य प्रस्तुति और नाट्य प्रस्तुति से रूबरू हुए दर्शक

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रायपुर : साहित्य अकादमी व श्रीकांत वर्मा पीठ छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद संस्कृति विभाग की ओर से एक महत्वपूर्ण आयोजन ‘रंग श्रीकांत’ सोमवार की शाम पुरातत्व व संस्कृति विभाग रायपुर के सभागार में रखा गया। इस दौरान छत्तीसगढ़ की धरती से उठ कर देश-विदेश में ख्याति अर्जित करने वाले साहित्यकार स्व. श्रीकांत वर्मा के रचनाकर्म पर आधारित तीन प्रस्तुतियां हुईं। इन्हें सभागार में उपस्थित दर्शकों ने बेहद सराहा।


शुरूआत में श्रीकांत वर्मा पीठ, छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद, बिलासपुर के अध्यक्ष राम कुमार तिवारी ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि संस्कृति परिषद बनने के बाद श्रीकांत वर्मा पर रायपुर में यह पहला कार्यक्रम है। श्रीकांत वर्मा छत्तीसगढ़ के देश और दुनिया में नामी साहित्यकार थे। मगर छत्तीसगढ़ में उन पर बहुत कम कार्यक्रम हुए हैं। छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद की कोशिश इस चुप्पी को तोड़ने और एक जीवंत साहित्यिक व सांस्कृतिक माहौल बनाने की है।


आयोजन की शुरूआत संगीत नाटक अकादमी सम्मान प्राप्त प्रसिद्ध रंगकर्मी राजकमल नायक के वक्तव्य से हुई। ”श्रीकांत वर्मा की रचनाओं में नाट्य तत्व” विषय पर अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा कि श्रीकांत वर्मा की कहानियों का मंचन करना एक बड़ी चुनौती है। क्यूँकि उनकी कहानियों में उस तरह के नाटकीय तत्व नहीं हैं, जैसे अन्य कहानीकारों में देखने को मिलते हैं। उन्होंने कहा कि श्रीकांत वर्मा की सुप्रसिद्ध कविता मगध व अन्य कविताओं के देशभर में लगातार मंचन होते रहे हैं। वहीं उनकी कहानियाँ आम जनजीवन की कहानियाँ हैं और मनोवैज्ञानिक स्तर पर मनुष्य मन को खंगालने का उपक्रम करती हैं। हम गौर से अगर उनकी कहानियों को जानने की कोशिश करें तो हम पाते हैं कि हम अनायास ही श्रीकांत वर्मा को भी जान पा रहे हैं।


इसके बाद अगला आयाम स्व. श्रीकांत वर्मा की कविताओं की दृश्य प्रस्तुति का था । इसमें श्रीकांत वर्मा की 11 बहुचर्चित कविताओं की मंच पर प्रस्तुत की गई। इनमें मगध, कोशाम्बी जड़, काशी का न्याय, हवन, तीसरा रास्ता, हस्तक्षेप, कलिंग, वंसत सेना, कोशल गणराज्य और मणिकर्णिका का डोम शामिल हैं। इसका निर्देशन छत्तीसगढ़ फ़िल्म एंड आर्ट सोसायटी, रायपुर से जुड़ी श्रीमती रचना मिश्रा ने किया था।

उल्लेखनीय है कि रचना मिश्रा छत्तीसगढ़ में इस समय सबसे सक्रिय महिला रंग निर्देशिका हैं। पिछले एक दशक में उन्होंने बीस से अधिक नाटकों का निर्देशन किया है। मगध की कविताओं की दृश्य प्रस्तुति अपने समय की सियासत पर एक प्रभावशाली टिप्पणी के रूप में सामने आई।

नाटक ‘दुपहर’ में बचपन और किशोरावस्था
की मन:स्थितियों का रोचक अनुभव दिखा

विहान ड्रामा वर्क्स भोपाल के निर्देशक सौरभ अनंत ने कवि स्व. श्रीकांत वर्मा का साहित्य पढ़ने के बाद तीन कहानियों ‘दुपहर’, ‘संकर’ व ‘चॉकलेट’ को मंचन हेतु चयनित किया था। जिसमें से ‘दुपहर’ का मंचन यहां राजधानी रायपुर में सोमवार की शाम हुआ। यह नाटक मूलत: बचपन और किशोरावस्था की मन:स्थितियों का रोचक अनुभव कराता है। जिसमें केंद्रीय पात्र बिगुल और कप्तान दो लड़के हैं जो स्कूल से छुट्टी मारकर भाग निकले हैं। यह नाटक यह भी कहता है कि सीखने को स्कूल या कॉलेज की चारदीवारी तक सीमित नहीं किया जा सकता, ख़ास तौर पर साहस और प्रयोगशीलता जैसे गुणों की शिक्षा को। इसमें कप्तान की भूमिका शुभम कटियार और बिगुल की भूमिका रुद्राक्ष भायरे ने निभाई। दोनों अभिनेताओं ने अपने सहज और रंग भरे अभिनय से दर्शकों को प्रभावित किया।
इस नाट्य प्रस्तुति में गिटारिस्ट स्नेह विश्वकर्मा,गीत, गायक व संगीत निर्देशन निरंजन कार्तिक,रूपसज्जा, वेशभूषा एवं रंग सामग्री श्वेता केतकर,तकनीकी सहायक कार्तिकेय नामदेव,अभिनय प्रशिक्षण व सहायक निर्देशक श्वेता केतकर,प्रकाश परिकल्पना, नाट्य रूपांतरण व निर्देशक सौरभ अनंत का योगदान रहा। समूचे कार्यक्रम का संचालन साहित्य अकादमी के कार्यक्रम समन्वयक मृगेंद्र सिंह ने किया।