इसरो ने एक और उपलब्धि हासिल की है। शुक्रवार को इसने अपना सबसे छोटा रॉकेट SSLVD2 को श्रीहरिकोटा सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया। ये कम टर्न-अराउंड समय और कई उपग्रहों को एक साथ अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित करने में सक्षम रहा। इस उपलब्धि के लिए इसरो प्रमुख एस सोमनाथ के सभी वैज्ञानिकों को बधाई दी।
आइये जानते हैं SSLVD2 रॉकेट क्या है और कब लांच हुआ? रॉकेट की विशेषताएं क्या हैं? मिशन के उद्देश्य क्या हैं?
Congratulations to our space scientists on successful flight of SSLVD2 that injected EOS07 &other satellites into 450km circular orbit.
By providing low-cost access to Space,SSLV is a game changer as it demands minimal launch infrastructure & can accommodate multiple satellites. pic.twitter.com/vgmqyezx7d
— Meenakashi Lekhi (मोदी का परिवार) (@M_Lekhi) February 10, 2023
SSLVD2 रॉकेट क्या है और कब लांच हुआ?
स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एसएसएलवी), एसएसएलवी-डी2 की दूसरी विकासात्मक उड़ान है। इसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सबसे छोटे रॉकेट के रूप में विकसित किया है।
एसएसएलवी-डी2 ने आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से सुबह 9:18 बजे उड़ान भरी। अपनी 15 मिनट की उड़ान के बाद इसने तीन उपग्रहों- EOS-07, Janus-1 और AzaadiSAT-2 को 450 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया।
EOS-07 – यह 156.3 किलोग्राम वजनी उपग्रह है जिसे पूरी तरह से इसरो ने तैयार किया है।
Janus-1 – यह अमेरिका की कंपनी अंतारिस का उपग्रह है। इसका वजन 10.2 किलोग्राम है।
AzaadiSAT-2 – यह चेन्नई के स्पेस स्टार्टअप स्पेसकिड्ज का उपग्रह है। इसका वजन 8.7 किलोग्राम है।
रॉकेट की विशेषताएं क्या हैं?
इसरो के अनुसार, एसएसएलवी 500 किलोग्राम तक के उपग्रह को कक्षा में लॉन्च करने में काम में लाया जाता है। यह रॉकेट ऑन डिमांड के आधार पर किफायती कीमत में उपग्रह को लॉन्च करने की सुविधा देता है। 34 मीटर लंबे एसएसएलवी रॉकेट का व्यास 2 मीटर है। इस रॉकेट का वजन 120 टन है।
मिशन के उद्देश्य?
– निम्न भू-कक्षा में एसएसएलवी की डिजाइन की गई पेलोड क्षमता का प्रदर्शन।
– EOS-07 और दो यात्री उपग्रहों Janus-1 और AzaadiSAT-2 को 450 किमी की गोलाकार कक्षा में स्थापित करना।