भारतीय मिलिट्री (Indian Military) के लिए रक्षा मंत्रालय ने 28 हजार करोड़ के यंत्र और हथियार खरीदने की मंजूरी दी है. इसमें सबसे खास हैं- स्वार्म ड्रोन्स (Swarm Drones), क्लोज-क्वार्टर बैटल कार्बाइन्स और बुलेट प्रूफ जैकेट. हम बात करेंगे स्वार्म ड्रोन्स की. क्यों भारतीय मिलिट्री यानी भारत की तीनों सेनाओं को इनकी जरूरत है? ये ड्रोन्स इतने खास क्यों होते हैं? इनका क्या उपयोग होता है? किस तरह से उपयोग किया जाता है? आप जानेंगे इनके बारे में सबकुछ…
क्या है स्वार्म ड्रोन्स?
स्वार्म ड्रोन्स (Swarm Drones) का साधारण भाषा में सीधा मतलब होता है झुंड में एक साथ लयबद्ध तरीके से उड़ने वाले ड्रोन्स. एक साथ सैकड़ों छोटे-छोटे ड्रोन्स को हथियारों या कैमरों आदि से लैस करके दुश्मन के इलाके में उड़ाया जा सकता है. इनसे निगरानी की जा सकती है. या फिर किसी भी तरह के हथियार को दुश्मन के ठिकाने पर गिराया जा सकता है.
स्वार्म ड्रोन्स टेक्नोलॉजी
स्वार्म ड्रोन्स (Swarm Drones) को रिमोट से या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ उड़ाया जा सकता है. या फिर आप एक ही कंप्यूटर से सैकड़ों ड्रोन्स को कंट्रोल कर सकते हैं. इनकी खास बात ये होती है कि ये दुनिया के किसी भी राडार या एंटी-एयर डिफेंस सिस्टम को धोखा दे सकते हैं. यानी दुश्मन को इनके आने की खबर सिर्फ देखने या सुनने से ही मिल सकती है. अगर ये पक्षियों के झुंड की तरह उड़ते हुए आएंगे तो दुश्मन को धोखा हो सकता है.
स्वार्म ड्रोन्स के हथियार
स्वार्म ड्रोन्स (Swarm Drones) पर गाइडेड, अनगाइडेड, क्लस्टर, लेजर गाइडेड, HEAT बम, छोटी मिसाइलें आदि लगाई जा सकती हैं. इसके अलावा छोटे परमाणु हथियारों का भी उपयोग किया जा सकता है. जो दुश्मन के इलाके में एक साथ हमला करते हैं तो भयानक तबाही मचेगी. इसके अलावा इनमें बंदूकें भी लगाई जा सकती हैं. ताकि तयशुदा टारगेट पर ही हमला किया जा सके. या फिर कई तरह के हथियारों का मिश्रण भी लगाया जा सकता है.
कैसे काम करता है स्वार्म ड्रोन्स
स्वार्म ड्रोन्स (Swarm Drones) की रेंज मिलिट्री अपने हिसाब से तय करवा सकती है. अपने हिसाब से रेंज और ताकत बढ़वा सकती है. फिलहाल सबसे लंबी दूरी के जो स्वार्म ड्रोन्स दुनिया में मौजूद हैं वो 50 किलोमीटर तक हमला करने की क्षमता रखते हैं. दुश्मन के इलाके में पहुंचते ही ये 500 मीटर की दूरी से भी टारगेट को उड़ा सकते हैं. स्वार्म ड्रोन्स को दूर से बैठे कंट्रोल यूनिट से नियंत्रित किया जा सकता है. या फिर आसमान में उड़ते हुए निगरानी प्लेन के जरिए. या फिर AI से सारा प्लान ड्रोन्स में डाल दीजिए. वो दुश्मन के इलाके में जाकर तबाही मचा देंगे. वापस आएंगे या फिर वहीं आत्मघाती हो जाएंगे ये इन्हें चलाने वाली सेना पर निर्भर करता है.
भारतीय सेना में कैसे होगा उपयोग
भारतीय सेना स्वार्म ड्रोन्स (Swarm Drones) का उपयोग कई तरह से करेगी. इनसे सिर्फ हमला ही नहीं बल्कि एयर ड्रॉपिंग, खाना-रसद, दवा, गोला-बारूद या फिर सैनिकों के लिए अन्य आवश्यक चीजों को पहुंचाने के लिए भी किया जा सकता है. भारतीय सेना इनका उपयोग इन इलाकों में कर सकती है, जहां पर आना-जाना दुरूह होता है. जैसे- 18 हजार फीट की ऊंचाई वाले चीनी सीमा के पास. या फिर बांग्लादेश, म्यांमार के सीमाई जंगलों या फिर पाकिस्तानी सीमा के पास मौजूद कच्छ में.
युद्ध में कैसे होगा उपयोग
स्वार्म ड्रोन्स (Swarm Drones) का उपयोग सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक, तय टारगेट पर सटीक हमले, निगरानी और जासूसी के लिए किया जा सकता है. युद्ध के समय अगर जवान कहीं फंसे हों तो उन्हें दुश्मन के चक्रव्यूह से निकालने के लिए इनका उपयोग कर सकते हैं. रेस्क्यू मिशन के दौरान दुश्मन या आतंकियों का ध्यान भटकाने और उनपर सटीक हमला करने के लिए कर सकते हैं.
भविष्य के युद्ध में इनका उपयोग दमदार होगा
स्वार्म ड्रोन्स यानी एकसाथ सैकड़ों छोटे-छोटे ड्रोन अलग-अलग ठिकानों पर हमला करते हैं. अधिक संख्या के कारण दुश्मन की एंटी एयरक्राफ्ट गन या मिसाइलें भी बेअसर साबित हो जाती हैं. यह नई टेक्नॉलजी भविष्य में युद्ध का पूरा रुख ही बदल देंगी. यह टेक्नोलॉजी नो कॉन्टेक्ट वॉरफेयर यानी बिना किसी इंसानी संपर्क से युद्ध को अहम बना देगी. इसमें अपने जवानों को नुकसान कम होगा. जान नहीं जाएगी. घायल नहीं होंगे. साथ ही लंबी दूरी तक यात्रा करने का खर्च भी बचेगा.
किन देशों के पास है स्वार्म ड्रोन्स
अमेरिका, चीन, रूस, ब्रिटेन के पास स्वार्म ड्रोन्स (Swarm Drones) का जमावड़ा है. ये लगातार इनकी टेक्नोलॉजी को अपग्रेड कर रहे हैं. अक्सर ये ट्रायल भी करते रहते हैं. साल 2017 में अमेरिका ने 103 पर्डिक्स क्वाडकॉप्टर ड्रोन्स के स्वार्म टेक्नोलॉजी का सफल परीक्षण किया था. स्वार्म ड्रोन्स के मामले में फिलहाल अमेरिका दुनिया में सबसे आगे हैं