कोर्ट में रो पड़ीं स्वाति मालीवाल, बिभव की जमानत याचिका पर सुनवाई, वकील ने दी ये दलील

राष्ट्रीय

आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल से मारपीट के आरोपी और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के करीबी विभव कुमार की जमानत पर तीस हजारी कोर्ट में सुनवाई हो रही है विभव के वकील अपने मुवक्किल के बचाव में कोर्ट के समक्ष दलील पेश कर रहे हैं. इस दौरान उन्होंने कौरवों और द्रौपदी का भी जिक्र किया. इस बीच स्वाति मालीवाल कोर्ट के समक्ष ही रो पड़ीं. विभव कुमार के वकील ने कहा कि स्वाति मालीवाल ने सीएम हाउस के ड्राइंग रूम को जानबूझकर चुना था क्योंकि वहां पर कोई सीसीटीवी नहीं है. वह जानती थीं कि वहां सीसीटीवी नहीं है. उसने अपनी इस जगह को चुना ताकि वह बाद में सुविधा के अनुसार आरोप लगा सके. उन्होंने कहा कि ये एक तरह से सुनियोजित था. मेरे मुवक्किल की छवि जानबूझकर खराब की जा रही है क्योंकि उन्हें (मालीवाल) लगता है कि केजरीवाल से मिलने नहीं देने के लिए विभव जिम्मेदार हैं. वकील ने कहा कि घटना के दिन एसएचओ ने कोई मेडिकल जांच नहीं कराई थी. विभव के वकील ने कहा कि जो धारा मेरे मुवक्किल पर लगाई गई है. उसका मतलब है कि निर्वस्त्र करने के इरादे से हमला करना. वह कह रही हैं कि उसकी शर्ट ऊपर उठ गई थी. लेकिन निर्वस्त्र करने का इरादा अलग बात है. अगर प्राचीन समय में देखें तो ये अपराध कौरवों पर लागू होता था, लेकिन इस मामले में निर्वस्त्र करने का इरादा नहीं है? लेकिन मालीवाल के बयानों पर गौर करें तो इस मामले में ये आकस्मिक स्थिति है. वकील ने कहा कि मालीवाल का आरोप है कि विभव ने उनसे कहा कि तू कैसे हमारी बात नहीं मानेगी? क्या बात? कोई बातचीत ही नहीं हुई. उन्होंने कहा कि उनकी केजरीवाल से मुलाकात ही नहीं हो पाई. उन्होंने कहा कि वह (विभव) आए और थप्पड़ मारने लगे. कोई ऐसा क्यों करेगा? क्या कोई सीएम के घर जैसी जगह पर ऐसी हरकत करेगा, जहां इतनी सिक्योरिटी है. मेडिकल तीन से चार दिन बाद हुआ. दिल्ली पुलिस के बनाए हुए काफी केस देखे लेकिन ऐसा केस नहीं देखा. विभव कुमार वहां मौजूद थे क्योंकि मालीवाल ने उन्हें बुलाया था. रही बात चोटों के निशान की तो इन्हें खुद भी बनाया जा सकता है. ऐसा लग रहा है कि जैसे सब कुछ प्लानिंग के तहत किया गया.

इस दौरान दिल्ली पुलिस के वकील ने कहा कि आप बिना किसी उकसावे के एक महिला को पीट रहे थे. उसे घसीट रहे थे. मैं पूछता हूं कि क्या इससे मौत नहीं हो सकती थी. आप इस तरह एक महिला को पीट रहे थे कि उसकी शर्ट के बटन खुल गए थे. यहां मंशा का सवाल नहीं है. आप कह रहे हैं कि वह (मालीवाल) विभव की छवि खराब करने के इरादे से एक मकसद के तहत वहां पहुंची थीं. वह मौजूदा सांसद है. वह दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष रह चुकी हैं.

दिल्ली पुलिस ने कहा कि पार्टी प्रमुख खुद उन्हें लेडी सिंघम कह चुके हैं. अब आप कह रहे हैं कि वह विभव की छवि खराब करने वहां गई थीं? वह (विभव) कौन है? वह स्थाई सरकारी कर्मचारी भी नहीं है. उन्हें पहले ही बर्खास्त किया जा चुका है. इससे पता चलता है कि वह कितने रसूखदार हैं. आपकी खुद की पार्टी की सदस्य केजरीवाल से मिलने जा रही थी, इसके लिए किसकी मंजूरी की जरूरत थी, विभव की! उल्टा चोर कोतवाल को डांटे. वह एक ऐसा शख्स है, जिसका ये कहने का कोई अधिकार नहीं था कि तुमने मालीवाल को आने कैसे दिया?