चैंपियनशिप में हिस्सा लेने आई गर्ल साइक्लिस्ट की इंजेक्शन लगाते ही मौत!

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महाराष्ट्र के नागपुर में आयोजित होने वाली राष्ट्रीय साइकिल पोलो चैंपियनशिप में हिस्सा लेने आई केरल की एक 10 वर्षीय लड़की की गुरुवार सुबह तबीयत बिगड़ने के बाद मौत हो गई. एक अधिकारी ने ये जानकारी दी है. चैंपियनशिप के आयोजन सचिव गजानन बर्डे ने एजेंसी को बताया कि मृतक की पहचान दक्षिणी राज्य के अलप्पुझा जिले की फातिमा निदा शिहाबुद्दीन के रूप में हुई है. उसे पिछले दो दिनों से टॉयलेट पास नहीं हो पा रही थी.

बर्डे ने कहा- म़त फातिमा सब जूनियर वर्ग के लिए केरल की टीम का हिस्सा थी. मैं बुधवार को उनकी टीम के सचिव से मिला, जिन्होंने खुद अपनी टीम के रहने की व्यवस्था की थी. मुझे उसके बारे में बताया गया कि वह पिछले दो दिनों से टॉयलेट नहीं कर पा रही थी और बीमार थी.

बर्डे ने दावा किया कि सुबह धंतोली के एक निजी अस्पताल में एम-सेट इंजेक्शन लगाने के बाद वह अचानक गिर पड़ी और उसकी मौत हो गई. धंतोली थाने की इंस्पेक्टर प्रभावती एकुरके ने घटना पर बात करते हुए कहा, “फातिमा निदा शिहाबुद्दीन की मौत का मेडिको-लीगल केस श्रीकृष्ण अस्पताल से प्राप्त हुआ था. वह वहां पेट दर्द की शिकायत लेकर गई थी और इंजेक्शन लगाने के पांच मिनट बाद उसकी मौत हो गई.”

एकुरके ने कहा कि शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है और धंतोली थाने में दुर्घटनावश हुई मौत के मामले में आगे की कार्रवाई जांच के अनुसार होगी. नेशनल साइकिल पोलो चैंपियनशिप शुक्रवार को यहां शुरू हुई है और 25 दिसंबर तक चलेगी.

इधर, फातिमा के परिवार के अनुसार उसे उल्टी हुई थी और वह जांच के लिए अस्पताल गई थी. यहां उसे इंजेक्शन लगाया गया और कुछ देर बाद अस्पताल में उसकी मौत हो गई. उसके पिता नागपुर पहुंचे हैं और आज उसका पोस्टमार्टम होना है.

मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने फातिमा निदा के निधन पर शोक व्यक्त किया. वहीं केपीसीसी के अध्यक्ष के सुधाकरन ने उनकी मौत की जांच की मांग की है. के सुधाकरन ने आरोप लगाया है कि हमारे एथलीट कोर्ट के आदेश से प्रतियोगिता में हिस्सा लेने आए थे. उसके कारण, राष्ट्रीय महासंघ ने उन्हें नजरअंदाज किया है. जिस संघ ने उन्हें चैंपियनशिप में हिस्सा लेने की अनुमति दी थी, उसने उन्हें भोजन और रहने की सुविधा से वंचित कर दिया था. पता चला कि केरल साइकिल पोलो एसोसिएशन ने वहां अन्य मलयाली लोगों की मदद से अपने दम पर सुविधाओं की व्यवस्था की थी. सुधाकरन ने कहा कि राज्य सरकार और खेल विभाग का कर्तव्य और जिम्मेदारी है कि वह हमारे बच्चों के सामने आने वाले संकट को समझें और तत्काल हस्तक्षेप करें.