कर्नाटक से मध्य प्रदेश पहुंचा ‘बजरंग दल पर बैन’ का मामला

राष्ट्रीय

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र में कांग्रेस द्वारा बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने के वादे से मध्य प्रदेश में जुबानी जंग छिड़ गई है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और एमपी के गृह मंत्री ने कांग्रेस के राज्य प्रमुख कमलनाथ की हनुमान भक्ति पर भी सवाल उठाया है, वहीं कमलनाथ ने कहा कि नफरत फैलाने वालों को कार्रवाई का सामना करना चाहिए.

तुष्टिकरण की राजनीति के लिए किसी भी हद तक जा सकती है कांग्रेस: नरोत्तम मिश्रा
पूर्व सीएम कमलनाथ को बुधवार को लिखे पत्र में गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा, तुष्टीकरण की राजनीति के लिए कांग्रेस किसी भी हद तक जा सकती है. इसके साथ ही चौहान ने बजरंग दल को “कट्टर राष्ट्रवादी संगठन” कहा है. असल में कांग्रेस ने 10 मई को कर्नाटक चुनाव के लिए अपने चुनावी घोषणापत्र में कहा कि वह बजरंग दल और पीएफआई जैसे संगठनों पर प्रतिबंध लगाने सहित कानून के अनुसार निर्णायक कार्रवाई करेगी और आरोप लगाया कि वे समुदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा दे रहे हैं.

उन्होंने कहा, “मैंने कमलनाथ को एक पत्र लिखा है. मैंने उनके कई ट्वीट देखे हैं जिनमें उन्होंने खुद को हनुमान भक्त बताया है. कांग्रेस ने बजरंग दल की तुलना पीएफआई से की. नाथ को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए. यह वही कांग्रेस है जो राम जन्मभूमि पर सवाल उठाती रही. मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस की तुष्टिकरण की इस राजनीति से राष्ट्रभक्तों और राम व हनुमान भक्तों की भावनाएं आहत हुई हैं.

कर्नाटक से उठी चिंगारी
बजरंग दल एक दक्षिणपंथी हिंदू संगठन है. इसके साथ ही बजरंग भगवान हनुमान का दूसरा नाम है और संगठन के प्रतीक चिन्ह में उनकी तस्वीर भी होती है. कर्नाटक के घोषणापत्र में बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने और क्या इसे मध्य प्रदेश में शामिल किए जाने के बारे में पूछे जाने पर कमलनाथ ने संवाददाताओं से कहा, “यह घोषणापत्र समिति द्वारा तय किया जाएगा. यहां तक ​​कि सुप्रीम कोर्ट और पूरा राज्य कह रहा है कि नफरत फैलाने और विवाद पैदा करने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए. यह हमारी सामाजिक एकता का मामला है.’

कमलनाथ ने कही ये बात
भगवान हनुमान के भक्त होने के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने पूछा, “इसका (बजरंग दल पर प्रतिबंध) से क्या संबंध है?” सीएम चौहान ने कर्नाटक चुनाव के घोषणापत्र को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा है. चौहान ने कहा, ”वे बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की बात कर रहे हैं, जो कट्टर राष्ट्रवादी संगठन है, आतंकवाद और लव जिहाद का विरोध करता है. जो संगठन देशभक्ति की भावना पैदा करता है, समाज सेवा में शामिल होता है, स्वाभिमान और अपने धर्म और संस्कृति के प्रति जागरूकता के लिए काम करता है, उसकी तुलना PFI जैसे आतंकवादी संगठन से की जा रही है? उन्होंने कहा कि कांग्रेस अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का विरोध कर रही थी और उसने राम-सेतु को काल्पनिक बताया था. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हिंदुत्व का हर मौके पर विरोध किया और अब उसका पर्दाफाश हो गया है.

दिग्विजय सिंह ने भी किया ट्वीट
हनुमान भक्ति पर पूर्व सीएम कमलनाथ से जवाब मांगते हुए चौहान ने कहा, “कोई भी उन लोगों को नहीं भूलेगा जो मध्य प्रदेश में सिमी के नेटवर्क को लाड़-प्यार कर रहे थे. सर्जिकल स्ट्राइक का विरोध करने वाले और आतंकवादियों का महिमामंडन करने वाले अब बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की बात कर रहे हैं.” कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने भी इस संबंध में कई ट्वीट किए. उन्होंने लिखा, “मोदी जी का धर्म हिंदुत्व है, न कि हिंदू या सनातन धर्म. जैसा कि सावरकर जी ने कहा है कि हिंदुत्व का हिंदू धर्म से कोई लेना-देना नहीं है ‘बजरंग दल का भगवान हनुमान से कोई लेना-देना नहीं है. सिंह ने एक ट्वीट में कहा, यह गुंडों का संगठन है.

भूपेश बघेल ने कही है बैन पर विचार की बात
उधर, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि अगर बजरंग दल कानून अपने हाथ में लेता है वो वे इस संगठन को बैन करने पर विचार करेंगे. कांग्रेस नेता भूपेश बघेल का ये बयान तब आया है जब कांग्रेस ने कर्नाटक के लिए जारी अपने घोषणा पत्र में कहा है कि अगर पार्टी सत्ता में आती है तो वो नफरत फैलाने वाले संगठनों बजरंग दल और पीएफआई को प्रतिबंधित करेगी. कांग्रेस के इस बयान का बीजेपी, बजरंग दल ने कड़ा विरोध किया है. इस बीच भूपेश बघेल ने भी कहा है कि अगर बजरंग दल के लोग कानून अपने हाथ में लेते हैं तो वे इस संगठन को प्रतिबंधित करने पर विचार करेंगे. प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को कर्नाटक में चुनाव प्रचार के दौरान इस मुद्दे को उठाया और कहा था कि कांग्रेस को प्रभु राम और बजरंग बली दोनों से दिक्कत है. कांग्रेस दोनों को ताले लगाकर रखना चाहती है.