चंद्रमा पर एक बड़ी चुनौती ऊर्जा की आवश्यकता की पूर्ति की है. वहां बस्ती बनाने के योजनाओं की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं. शोध एवं अन्य कार्यों के लिए स्थायी बेस बनाने की लिए काम चल रहा है. ऑक्सीजन की आवश्यकता की पूर्ति के लिए भी वहां के संसाधनों के दोहनों भी ऊर्जा के एक अच्छे स्रोत की जरूरत होगी. नासा और अन्य कई देश के स्पेस एजेंसी इन समस्याओं को सुलझाने पर काम कर रही है.अभी तक सबसे सही हल सौर ऊर्जा ही लग रही है. लेकिन सवाल यह है कि क्या इस सौर ऊर्जा का बिना किसी भंडारण के 100 प्रतिशत बिजली में बदलकर इस्तेमाल हो सकता है. पृथ्वी पर तो यह संभव नहीं है, लेकिन नए अध्ययन में चंद्रमा पर इसे संभव जरूर बताया गया है.
पृथ्वी के परंपरागत विचार को चुनौती
पृथ्वी पर अक्षय ऊर्जा के स्रोतों से 100 प्रतिशत बिजली पैदा करना, वह भी बिना ऊर्जा भंडारण के अव्यवहारिक लगता है. लेकिन इस मानसिकता को बेन गुरियोन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जेफरी गोर्डोन ने चुनौती दी है. यह विचार उन्होंने दो महीने पहले नासा में अपने एक प्रस्तुतिकरण के दौरान रखा था. उनका यह विचार इस साल रीन्यूएबल ईयर में प्रकाशित हुआ है.
सतत ऊर्जा की जरूरत
चंद्रमा पर सूर्य के बहुत ही प्रमुख उपलब्ध अक्षय ऊर्जा का स्रोत है. यहां चुनौती यही है कि इस ऊर्जा को वहां बनने वाले बेस, बस्तियां या फैक्ट्रियों के लिए बारह महीने चौबीसों घंटों ऊर्जा की जरूरत है. इनमें प्रमुखरूप से हजारों टनों ती मात्रा में ऑक्सीजन का उत्पादन होगा जो ना केवल रॉकेट के ईंधन के रूप में उपयोग में लाई जाएगी, बल्कि वहां रहने वाले इंसानों के लिए भी सांस लेने में काम आ सकेगी.
कहां से मिले लगातार ऊर्जा
इसमें एक बड़ी चुनौती ऐसा हिस्से का चयन करना है जहां 29.5 दिन वाले चंद्रमा पर अधिकांश समय पर सूर्य की रोशनी पहुंचती रहे. अपने शोधपत्र मं गोर्डन में एक व्यवहारिक रणनीति का खुलासा किया है जिसमें एक 360 डिग्री वाली फोटोवोल्टेक सेल की छतरी को चंद्रमा के ध्रुव के पास लगाने की बात की है जिससे ऑक्सीजन पैदा करने वाले संयंत्रों में निर्बाध रूप से बिजली की आपूर्ति होती रहे.
कई गुना बेहतर समाधान
गोर्डोन ने बताया कि उनके समाधान का भार बहुत कम है. जो जिससे चंद्रमा पर स्थापना की लागत बहुत कम हो जाएगी जो फिलहाल दस लाख डॉलर प्रति किलोग्राम है. यह नई नीति सौर ऊर्जा के बैटरी भंडारण से सौ गुना ज्यादा कारगर है. वही वह नासा के विचाराधीन परंपरागत और जनरेटर वाले परमाणु संयंत्र से छह गुना ज्यादा बेहतर होगी.
नासा ने जताई सहमति
गोर्डोन ने बताया कि उन्हें ओहियो में क्लीवलेंड के गेल्न रिसर्च सेंटर स्थित नासा के हेडक्वार्टर में अपनी खोज के प्रस्तुतिकरण के लिए आमंत्रित किया गया था नासा के वैज्ञानिकों ने उनके चंद्रमा की कॉलोनी के लिए पॉवर प्लांट की योजना पर विचार करने के सहमति जताई जिसमें वे परमाणु ऊर्जा का जगह सौर ऊर्जा का उपोयग किया जाएगा.
इन हालातों का फायदा
इस अवधारणा में चंद्रमा पर वायुमंडल की अनुपस्थिति, चंद्रमा की कक्षा के तल की तुलना में उसकी धुरी का लगभग शून्य का झुकाव, वहां कम भार वाली प्रसारण तार डालने की क्षमता, और पृथ्वी की तुलना में चंद्रमा का बहुत कम व्यास होने जैसी स्थितियों का फायदा उठाया जा सकता है. इस तरह की सुविधा पृथ्वी पर संभव नहीं है.
चंद्रमा पर ऊर्जा का स्रोत सूर्य को रूप में तो उपलब्ध लेकिन उसके दोहन के लिए संयंत्र के लिए पृथ्वी से ही सामान ले जाना बहुत ही मुश्किल कार्य होगा. वहीं दूसरी ओर चंद्रमा पर निर्माण कार्य भी कम मुश्किल काम नहीं होगा. इसीलिए वैज्ञानिक मुफीद तकनीक विकसित करने के अनुसंधान में लगे हुए हैं. चंद्रमा पर ऊर्जा, बिजली, ऑक्सीजन आदि का उत्पादन मंगल और अन्य ग्रहों पर रहने के लिए प्रयोगशाला की तरह काम करेगा.