राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार पर एक बार फिर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए 6 विधायकों ने गहलोत सरकार पर किए गए वादे पूरा नहीं पर खुलकर नाराजगी जाहिर की है. मालूम हो कि इन्हीं विधायकों ने 2020 में पायलट खेमे की बगावत के समय सरकार बचाने में अशोक गहलोत का साथ दिया था. ताजा जानकारी के मुताबिक सरकार में राज्य मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने कांग्रेस पर वादाखिलाफी के गंभीर आरोप लगाए हैं. गुढ़ा ने कहा कि हमसे किए गए वादे पूरे नहीं किए गए हैं. उन्होंने कहा कि पिछली बार 6 बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए विधायकों में से 3 विधायकों को संसदीय सचिव और 3 विधायकों को मंत्री बनाया गया था लेकिन हमें इस बार टिकट मिलने तक की उम्मीद नहीं दिखाई दे रही है. गुढ़ा ने कहा कि कांग्रेस की तरफ से विधायकों को सरकार में एडजस्ट किए जाने का कमिटमेंट किया गया था लेकिन अभी तक पूरा नहीं हुआ है.
गुढ़ा ने कहा मेरे कहने पर बसपा के विधायकों ने कांग्रेस का साथ दिया था लेकिन अब हमारे साथियों को यह भी भरोसा नहीं है कि आने वाले समय में उनको टिकट मिलेगा या नहीं. बता दें कि इससे पहले विधायक वाजिब अली ने भी गहलोत सरकार के मंत्रियों की कार्यशैली पर सवाल उठाए थे.
कांग्रेस ने नहीं पूरे किए वादे
मंत्री राजेद्र गुढ़ा ने आगे कहा कि राज्यसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मुकुल वासनिक और सुरजेवाला ने सभी विधायकों से वादा किया था कि वह राहुल और सोनिया गांधी से मुलाकात कर हमारी टिकटों को लेकर बात करेंगे लेकिन मंत्री पद और राजनीतिक नियुक्तियां तो दूर आलाकमान से बात तक नहीं की गई.
गुढ़ा ने कहा कि हमारे साथियों के बीच अब अविश्वास बढ़ता जा रहा है और हम सभी वादे पूरे नहीं होने को लेकर चिंतित भी है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार आने वाले समय में वादे पूरे नहीं करती है तो फिर हमें कांग्रेस सरकार को दिए गए समर्थन को लेकर आगे फिर सोचना पड़ेगा. मंत्री ने कहा कि चुनाव आने वाले हैं लेकिन हमारी टिकटों को लेकर अभी भी संशय बना हुआ है.
एटीट्यूड की वजह से पैदा हुआ अविश्वास
वहीं उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस में सत्ता संगठन के बदलावों और निष्ठा को लेकर मैं फिलहाल ज्यादा नहीं सोच रहा हूं. हम आज की तारीख में कांग्रेस में हैं और कांग्रेस जो करेगी वह ठीक है. वहीं अपने फैसले को लेकर गुढ़ा ने बताया कि अभी तो मुझे खुद को ही पता नहीं है कि मेरा कमिटमेंट क्या है? मुझे क्या फैसला लेना पड़ेगा, हम साथियों के साथ बैठकर इस पर फैसला लेंगे.