इन महिलाओं को हड्डी टूटने का खतरा अधिक, ऐसी डाइट से बढ़ सकता है जोखिम!

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स्वस्थ रहने के लिए आज कल लोग शाकाहारी डाइट को अपना रहे हैं. उसके साथ ही नियमित कसरत भी करते हैं. ऐसा माना जाता है कि शाकाहारी खाने से पोषक तत्व मिलते हैं जिससे शरीर को काफी फायदा होता है. यूके से एक ऐसी ही स्टडी सामने आई है जिसमें यह बताया गया है कि शाकाहारी लोगों की तुलना में मांसाहारी लोग ज्यादा फिट होते हैं. एक उम्र बीतने के बाद मांस खाने वाली महिलाओं की तुलना में शाकाहारी महिलाओं को फ्रैक्चर जैसी समस्याओं से ज्यादा जूझना पड़ सकता है.

26 हजार महिलाओं पर हुई रिसर्च

शोधकर्ताओं ने जब 26,000 से अधिक महिलाओं के स्वास्थ्य और खाने का रिकॉर्ड देखा तो उसमें पाया कि लगभग 22 साल की उम्र में शाकाहारी महिलाओं में हिप्स टूटने की संभावना उन लोगों की तुलना में ज्यादा है जो रोज मांस खाते हैं.

हालांकि शोधकर्ताओं को असली समस्या के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं चल पाया है लेकिन उनका अनुमान है कि गिरने और फ्रैक्चर से हड्डियों और मांसपेशियों के टूटने का खतरा ज्यादा इसलिए हो रहा है क्योंकि शाकाहारी लोगों को अच्छी डाइट नहीं मिल पा रही है.

लीड्स विश्वविद्यालय के शोधकर्ता डॉ. जेम्स वेबस्टर ने कहा कि शाकाहारियों को अपनी डाइट समय से लेनी चाहिए और अपने खाने में ऐसे पोषक तत्व जोड़ने चाहिए, जिनसे स्वस्थ रहा जा सकें. ऐसा माना जाता है कि शाकाहारी खाना मांसाहारी खाने से ज्यादा स्वास्थ्यवर्धक है क्योंकि ये मधुमेह, मोटापा, दिल की समस्याओं और कैंसर की दिक्कतों को दूर कर सकता है लेकिन बीएमसी मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया कि बेल्संड डाइट के हिसाब से ही लोगों को खाना चाहिए. लगभग 90% हिप फ्रैक्चर उन लोगों को होते हैं जो ज्यादा बूढ़े होते हैं, ज्यादा कमजोर होते हैं या जिनकी हड्डियां कमजोर होती हैं.

पुरुषों पर होता है कैसा असर?

फ्रैक्चर ओर ज्यादा बीमारियों को बढ़ा सकता हैं जिससे हड्डियां खराब होने का खतरा बढ़ जाता है. शोधकर्ताओं ने इस बात का अनुमान भी लगाया है कि मांस खाने वालों की तुलना में शाकाहारियों का वजन ज्यादा कम होता है और इसके अलावा शाकाहारी लोगों में कम वसा भी पाया जाता है.

वेबस्टर ने सारी रिपोर्टस देखते हुए कहा कि शाकाहारियों को ऐसे खाने के बारे में सोचना चाहिए जिसमें ज्यादा आयरन और विटामिन बी 12 हो और इस बात का ध्यान भी रखना चाहिए कि क्या उन्हें नट्स, फलियों और बीन्स से प्रोटीन मिल रहा है. वेबस्टर ने कहा कि यह जानना भी जरूरी है कि क्या शाकाहारी पुरुषों में भी कूल्हे के फ्रैक्चर का वही खतरा है जो महिलाओं में पाया गया था.

पिछले रिपोर्ट से पता चलता है कि मांस खाने वालों की तुलना में शाकाहारी पुरुषों और महिलाओं की हड्डियों ज्यादा कमजोर है लेकिन फिर भी शाकाहारी पुरुषों में फ्रैक्चर का खतरा अभी समझ नहीं आया है. पिछले साल लीड्स यूनिवर्सिटी के एक शोध में पाया गया कि मांसाहारी लोगों के भोजन ने शाकाहारी लोगों की तुलना में 59% ज्यादा उत्सर्जन किया. इसलिए कम मांस खाना जीवनशैली में एक ऐसा बदलाव है जो ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन को कम कर सकता है.

वहीं लीड्स अध्ययन में पता चला है कि शाकाहारियों का नियमित मांस खाने वालों की तुलना में बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) कम था. यहां तक कि कम प्रोटीन का सेवन और कम विटामिन डी का सेवन भी हिप फ्रैक्चर का एक बड़ा खतरा है. उन्होंने यह भी कहा कि “शाकाहारियों को सही वजन को बनाए रखने के लिए कैल्शियम और विटामिन डी लेना होगा, जो महत्वपूर्ण प्रोटीन है.”