तिरुपति प्रसाद विवाद: उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने लिया 11 दिन के पश्चाताप का संकल्प…

राष्ट्रीय

तिरुपति बालाजी मंदिर के घोटाले का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. देशभर के साधु-संत और हिंदू संगठन इस मामले पर आक्रोशित हैं और उन्होंने इसके खिलाफ प्रदर्शन भी किया है. तिरुपति बालाजी मंदिर में लोगों की दुनियाभर में आस्था है और इस घोटाले के कारण उनकी आस्था के साथ खिलवाड़ हुआ है. इस घोटाले की जांच की मांग की जा रही है और इसमें कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. आंध्र प्रदेश के डेप्युटी सीएम पवन कल्याण ने 11 दिनों का पश्चाताप दिखाने का संकल्प किया है पवन कल्याण ने 11 दिन की ‘प्रायश्चित दीक्षा’ शुरू कर दी है. इस दौरान वह 11 दिनों के उपवास पर रहेंगे.

जनसेना पार्टी के नेता ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि उन्हें इस बात के लिए प्रायश्चित हो रहा है कि उन्हें इस कथित पशु चर्बी के बारे में पहले पता नहीं चला. उन्होंने पोस्ट में लिखा, ‘हमारी संस्कृति, आस्था, विश्वास और श्रद्धा की धर्मधुरी, श्री तिरुपति बालाजी धाम के प्रसाद में कुत्सित प्रयासों के तहत जो अपवित्रता का संचार करने की कोशिश की गई उससे मैं व्यक्तिगत स्तर पर अत्यंत मर्माहत हूं.

पवन कल्याण ने कहा, ‘सनातन धर्म में आस्था रखने वाले सभी लोगों को कलियुग के देवता बालाजी के साथ हुए इस घोर अन्याय के लिए प्रायश्चित करना चाहिए. इसके तहत मैंने तपस्या करने का निर्णय लिया है. 22 सितंबर 2024 रविवार की सुबह मैं गुंटूर जिले के नम्बूर स्थित श्री दशावतार वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में दीक्षा लूंगा. 11 दिनों तक दीक्षा जारी रखने के बाद मैं तिरुमाला श्री वेंकटेश्वर स्वामी के दर्शन करूंगा.’

जनसेना नेता ने आगे भगवान से विनती की कि उन्हें पिछले नेताओं द्वारा किए गए पापों को धोने की शक्ति दें. उन्होंने कहा, ‘मैं भगवान से विनती करता हूं कि मुझे पिछले शासकों द्वारा आपके खिलाफ किए गए पापों को धोने की शक्ति दें.’ केवल वे लोग ही ऐसे अपराध करते हैं, जिन्हें ईश्वर पर कोई भरोसा नहीं है और जिन्हें पाप का डर नहीं है. मेरा दर्द यह है कि तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम प्रणाली का हिस्सा बनने वाले बोर्ड के सदस्य और कर्मचारी भी वहां की गलतियों का पता नहीं लगा पाते हैं, अगर उन्हें पता भी चलता है, तो वे इसके बारे में बात नहीं करते हैं.’

कल्याण ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि वे उस समय के राक्षसी शासकों से डरते थे. पिछले शासकों के व्यवहार ने तिरुमाला, जिसे वैकुंठ धाम माना जाता है, की पवित्रता, शिक्षाशास्त्र और धार्मिक कर्तव्यों के प्रति ईशनिंदा का काम किया है. इससे हिंदू धर्म का पालन करने वाले सभी लोग आहत हुए हैं. यह तथ्य कि लड्डू प्रसाद की तैयारी में पशु अवशेषों वाले घी का उपयोग किया गया था. धर्म को बहाल करने की दिशा में कदम उठाने का समय आ गया है.’