राजस्थान की पहली ट्रांसजेंडर नूर शेखावत अब पढ़ लिखकर अपने सपनों को नई उड़ान देने जा रही हैं. राजस्थान यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने वाली वह पहली ट्रांसजेंडर हैं. काफी संघर्ष के बाद सेंटर एडमिशन कमेटी ने स्पेशल केस के तहत एक ट्रांसजेंडर को पहली बार
दाखिला दिया. राजस्थान यूनिवर्सिटी के महारानी कॉलेज में BA फर्स्ट ईयर में एडमिशन लेकर नूर काफी खुश है. उन्होंने कॉलेज में पढ़ाई के साथ साथ छात्रसंघ चुनाव लड़ने की भी इच्छा जताई है.
आसान नहीं था यहां तक का सफर
आज तक से खास बातचीत में ट्रांसजेंडर नूर ने बताया कि साल 2013 में 12वीं होने के बाद पढ़ाई छूट गई थी, हालांकि 12वीं में भी एक ट्रांसजेंडर होने के नाते कई ताने सहने पड़े और काफी संघर्ष किया लेकिन हिम्मत नहीं हारी. उसके बाद लोगों के घरों में जाकर बधाइयां भी ली लेकिन उस जिंदगी से घुटन होने लगी. फिर वापस पढ़ाई की इच्छा जगी लेकिन कागजात नहीं थे. एक ट्रांसजेंडर को अपने जन्म प्रमाण पत्र लेने में भी काफी संघर्ष करना पड़ा और जब बर्थ सर्टिफिकेट मिला तो फिर हिम्मत बढ़ गई. अब कॉलेज ने ऑफलाइन आवेदन को स्वीकार करते हुए उन्हें एडमिशन दे दिया है. राजस्थान यूनिवर्सिटी ने पहली बार एक ट्रांसजेंडर को एडमिशन देकर नजीर पेश की है.
ट्रांसजेंडर्स के लिए प्रावधान तो बहुत हैं लेकिन…
उच्च शिक्षा प्राप्त करने की ओर कदम बढ़ाने वाली ट्रांसजेंडर नूर बताती है कि उनका भी सपना था कि उनके नाम के आगे भी डॉक्टर लगे और उसके लिए वो पढ़ाई करना चाहती हैं. हालांकि अभी सब्जेक्ट का चयन नहीं हो पाया है, वो चाहती हैं कि उन्हें साइकोलॉजी, सोशियोलॉजी और पॉलिटिकल साइंस जैसे सब्जेक्ट मिले. लेकिन इससे भी बड़ी बात यह है कि समाज में जिस समानता के लिए ट्रांसजेंडर संघर्ष करते हैं उस कड़ी में यह बहुत बड़ी उपलब्धि है. क्योंकि ट्रांसजेंडर के लिए हर जगह प्रावधान है, लेकिन उसे इंप्लीमेंट करना बहुत बड़ी बात होती है. इस बात को राजस्थान विश्वविद्यालय के एडमिशन कमेटी ने उन्हें दाखिला देकर तो साबित कर दिया.
नूर को एडमिशन देना मुश्किल था लेकिन ना मुमकिन नहीं, साबित किया
वहीं राजस्थान यूनिवर्सिटी एडमिशन कमेटी के कन्वीनर और सिंडिकेट सदस्य प्रोफेसर एसएल शर्मा ने बताया कि ट्रांसलेटर नूर शेखावत का जब हमारे सामने केस आया तो तुरंत इस पर एक्शन लिया. हालांकि किन्हीं कारणों से इन्होंने ऑनलाइन एप्लीकेशन फॉर्म नहीं भरा था, इसके बाद भी सेंटर एडमिशन कमेटी ने सर्वसम्मति से फैसला लेते हुए ऐसे स्टूडेंट को विश्वविद्यालय में एडमिशन देने की बात रखी. महारानी कॉलेज की प्रिंसिपल निमाली सिंह को इसके बारे में अवगत करवाया तो उन्होंने इसकी अनुमति दे दी. उन्होंने कहा कि प्रदेश में यह पहला ऐसा विश्वविद्यालय होगा जिसमें एक ट्रांसजेंडर स्टूडेंट के तौर पर एडमिशन लेगी. नूर शेखावत का एडमिशन लेना सभी के लिए गर्व की बात है. वहीं विश्वविद्यालय भी ऐसे तबके को मुख्य धारा लाने का प्रयास कर रहे है.