सुअर की गंभीर संक्रामक बीमारी की वैक्सीन का ट्रायल सरगुजा में…

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अंबिकापुर : सुअर में होने वाली गंभीर संक्रामक बीमारी ‘पोर्सिन रीप्रोडक्टिव एंड रेस्पिरेटरी सिंड्रोम’ (पीआरआरएस) से बचाव के लिए वैक्सीन तैयार की गई है। इसका पहला ट्रायल सरगुजा जिले के शासकीय शूकर पालन केंद्र सकालो के अलग-अलग आयु के 50 शूकरों में किया जा रहा है। इस बीमारी को ब्लू इयर के नाम से भी जाना जाता है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान भोपाल में वैक्सीन तैयार किया गया है। संस्थान के वरिष्ठ विज्ञानी डा राजू कुमार व डा फतह सिंह द्वारा वैक्सीन का ट्रायल किया जा रहा है। वैक्सीन लगने के बाद शूकरों पर इसके प्रभाव का अध्ययन किया जा रहा है। अभी तक शूकरों में स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या नहीं आई है। 21 दिन बाद शूकरों को बूस्टर डोज लगाया जाएगा।

सुअर की इस बीमारी को सबसे पहले 1987 में अमेरिका में देखा गया था। उसके बाद 1991 में नीदरलैंड में वायरस की पहचान हुई। यूरोपीय और अमेरिकी देशों के बाद यह बीमारी अब भारत में भी पहुंच चुकी है। यह बीमारी शूकर पालकों को बड़ा आर्थिक चोट पहुंचाती है। इसी कारण भारत देश में इसका वैक्सीन तैयार किया गया है।
राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान भोपाल में विकसित वैक्सीन का पहला फील्ड ट्रायल सरगुजा में चल रहा है। संस्थान के वरिष्ठ विज्ञानी शूकरों में वैक्सीन लगा रहे है। वैक्सीन लगने के बाद शूकरों के स्वास्थ्य का अध्ययन किया जा रहा है।