छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। यहां स्थित एकलव्य आवासीय विद्यालय की हालत इतनी बदहाल है कि छात्रों को अपनी कक्षाओं के बजाय शौचालय में रहकर पढ़ाई करनी पड़ रही है। हैरान करने वाली बात यह है कि आदिवासी बच्चों के बाथरूम के पास CCTV कैमरा भी लगाया गया है। यह सवाल उठता है कि बच्चों के बाथरूम के बाहर CCTV कैमरा क्यों लगाया गया है? एकलव्य आवासीय विद्यालय के बच्चों को अपने कमरे में नहीं, बल्कि शौचालय में बैठकर पढ़ाई करनी पड़ रही है। वहीं, छात्राओं के बाथरूम के पास CCTV कैमरा लगाए जाने से उनकी निजता पर सवाल उठ रहे हैं। इसके अलावा, अगर छात्र-छात्राओं को किसी जरूरी काम के लिए हॉस्टल से बाहर निकलने की जरूरत होती है, तो उन्हें बाहर जाने की अनुमति भी नहीं मिलती।
छत्तीसगढ़ के आदिवासी इतने भोले होते है।टॉयलेट में टाइल्स लगा है तो उसे भी रहने लायक महल समझ लेते है। नारायणपुर के एकलव्य विद्यालय में छात्राएं टॉयलेट में रहकर पढ़ाई कर रहीं है।जिस जगह में आप खड़े नहीं होते हैं। बहुत शर्मनाक है
@gyanendrat1 pic.twitter.com/iGTTKhkyB1— Ravi Miri (Vistaar News) (@Ravimiri1) December 2, 2024
एकलव्य आवासीय विद्यालय, जिसे एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल (EMRS) भी कहा जाता है, की स्थापना 1997-98 में की गई थी। यह स्कूल विशेष रूप से अनुसूचित जनजाति (ST) के छात्रों के लिए बनाए गए हैं ताकि उन्हें बेहतर शैक्षिक अवसर मिल सकें। इन विद्यालयों का उद्देश्य केवल शिक्षा नहीं, बल्कि छात्रों के समग्र विकास पर भी ध्यान केंद्रित करना है। ये स्कूल राज्य सरकारों के अंतर्गत आते हैं और उनकी स्थापना के लिए केंद्रीय सरकार द्वारा फंड दिया जाता है। घटना की जानकारी मिलने पर जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया है. आनन-फानन में सहायक आयुक्त आदिवासी विकास शाखा के नेतृत्व में टीम गठित कर मामले की पड़ताल के लिए छोटेडोंगर रवाना किया गया है. जांच के बाद सहायक आयुक्त की तरफ से कलेक्टर को जांच प्रतिवेदन सौंपा जाएगा .
एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय के छात्रों का कहना है कि स्कूल में अव्यवस्थाएं हैं. विद्यालय के शौचालय की हालत पिछले दो माह से काफी खराब है. शौचालय का दरवाजा टूटा हुआ है. शौचालय की बदबू से विद्यालय के बच्चों व शिक्षकों का कैम्पस में रहना मुश्किल हो गया है. छात्रों के पास कंबल की भी कमी है, जिसके चलते छात्र कड़ाके की ठंड में रात में ठिठुर रहे हैं. विद्यालय अधिक्षिका प्रभावी का कहना है कि उनके द्वारा विभाग के उच्च अधिकारियों को समस्याओं के बारे में अवगत कराया गया है. लेकिन अधिकारियों की तरफ से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. पिछले 6 साल से साहब बोल रहे हैं कि भवन बनेगा, लेकिन अभी तक तैयार नहीं हो पाया.
यहां पर पानी की भी बहुत समस्या है. कभी-कभी तो बिना नहाए स्कूल जाना पड़ता है. जिससे लेट भी हो जाता है. कई लोग बाथरूम में सोते हैं. इस भवन में एक साथ दो संस्था का स्कूल चल रहा है. ऐसे में बालिका और बालक दो संस्था के बच्चे एक साथ पढ़ते हैं. भवन की बैठक क्षमता से अधिक बच्चे होने की वजह से सभी लोगों को दिक्कतें हो रही हैं. मामले में सर्व आदिवासी समाज के नेताका कहना है कि 50 सीटों वाले स्कूल में 180 छात्र अतिरिक्त भरे गए हैं. ऐसे में जगह नहीं होने की वजह से शौचालय का इस्तेमाल किया जा रहा है और बेड भी शौचालय में लगवाया गया है. सर्व आदिवासी समाज इसकी निंदा करता है. साथ ही जहां पर लड़कियों का शौचालय बना है, वहां पर सीसीटीवी कैमरा भी लगाया गया है.