भारत में कई ऐसे गांव है जो अपनी अनोखी खूबसूरती के लिए जाने जाते हैं। इन गांवों में हसीन वादियों के बीच वक्त बिताना लोगों को खूब पसंद है। हरे-भरे जंगलों, पहाड़, नदियां और खूबसूरत नजारों के बीच सुकून के पल बिताने से आप खुद को काफी रिफ्रेश महसूस करते हैं।
कहा जाता है कि इस गांव में कोई भी पक्का मकान नहीं बनवाता, क्योंकि यहां पक्के घर को लेकर कई तरह के अंधविश्वास प्रचलित हैं। साथ ही, इस गांव में कई ऐसे नियम हैं जो सुनने में थोड़े अजीब लग सकते हैं।
राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित है, जिसका नाम देवमाली है। इस गांव की आबादी बहुत कम है, यहां सिर्फ 300 परिवार रहते है। लोगों की कुल आबादी की बात करें, तो करीब 2000 लोग रहते हैं। यहां लावड़ा गोत्र के गुर्जर समाज के लोग रहते हैं साथ ही, गांव की तमाम जमीन भगवान देवनारायण के नाम अंकित है, जहां देवनारायण को पूजा जाता है। गांव में बिजली चले जाने पर तिल्ली के तेल से दीपक जलाया जाता है
जब आप इस गांव में जाएंगे, तो देखेंगे कि एक भी छत पक्की नहीं है। हालांकि, इसका कोई आर्थिक कारण नहीं है, पैसे होने के बावजूद भी लोग कच्ची छत बनवाते हैं। कहा जाता है कि यहां के लोग सुकून से रहने के लिए पक्की छत नहीं बनवाते हैं, क्योंकि लोगों की भगवान देवनारायण पर गहरी आस्था है।
मान्यता है कि देवनारायण जब इस गांव में आए थे, तो गांव के लोगों की सेवा और भावना से बहुत खुश हुए थे। उन्होंने गांव वालों से वरदान मांगने को कहा तो लोगों ने कुछ नहीं मांगा। मगर इसपर देवनारायण जाते-जाते कह गए सुकून से रहना है तो पक्की छत का मकान मत बनाना। तब से लेकर आज तक लोगों ने गांव की पक्की छत बनवाना छोड़ दीं।
इस गांव के लोग शराब, मांस और अंडे को छूते तक नहीं हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि गांव के लोग अपने भगवान को नाखुश नहीं करते हैं। साथ ही, लोग सीमेंट का भी इस्तेमाल नहीं करते हैं और खाने में सब्जियों का सेवन करती हैं।
अगर कोई गलती से नॉन वेज खा लेता है, तो सजा के तौर पर उसे पूजा करवाई जाती है। हालांकि, पशुपालन के यहां के लोग जिंदगी गुजर-बसर करते हैं।
इस गांव में न सिर्फ कच्ची छतों को बनवाया जाता है, बल्कि दरवाजों पर ताला भी नहीं लगाया जाता। आपको सुनने में थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन कहा जाता है कि इस गांव में पिछले 50 साल से घर में चोरी नहीं होती। गांव वालों के बीच आज तक कभी कोई विवाद भी नहीं हुआ है।
यहां श्री देवनारायण भगवान का मंदिर भी है, वहां के लोग इन्हें भगवान विष्णु का अवतार मानते हैं और इस गांव की सारी जमीन भी भगवान देवनारायण के नाम पर ही है। गांव के किसी भी व्यक्ति के नाम जमीन का कोई भी अंश नही है।