यूपी: मंदिर के लिए हो रही थी खुदाई, अचानक निकलने लगे मुगलकाल के सिक्के

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उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में एक मंदिर के लिए नींव की खुदाई में मुगलकाल के सिक्के निकलने लगे. इसकी जानकारी पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने नींव की खुदाई के दौरान निकले सिक्कों को अपने कब्जे में लिया. पुलिस ने उस स्थल को भी अपनी निगरानी में ले लिया है. ये वाकया सहारनपुर जिले के ननौटा क्षेत्र के हुसैनपुर गांव का है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक सहारनपुर जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) ग्रामीण सागर जैन ने इसकी पुष्टि की है. सहारनपुर के एसपी ग्रामीण ने कहा कि जिले के ननौटा क्षेत्र के हुसैनपुर गांव में सती धाम मंदिर है. उन्होंने बताया कि सती धाम मंदिर की बाउंड्री वॉल का निर्माण कराया जाना था जिसके लिए नींव की खुदाई की जा रही थी.

सहारनपुर के एसपी ग्रामीण के मुताबिक सती धाम मंदिर के बाउंड्री वॉल के निर्माण के लिए मजदूर नींव की खुदाई कर रहे थे. इसी दौरान बड़ी मात्रा में सिक्के निकलने लगे जिन्हें देखने पर पता चला कि ये मुगलकाल के हैं. सती धाम मंदिर की बाउंड्री वॉल के निर्माण के लिए नींव की खुदाई के दौरान मुगलकाल के सिक्के निकलने की जानकारी लोगों ने पुलिस को दी.

ननौटा क्षेत्र के हुसैनपुर गांव में मुगलकाल के सिक्के निकलने की सूचना पाकर पुलिस भी एक्टिव मोड में आ गई. पुलिस टीम तत्काल हुसैनपुर गांव के सती धाम मंदिर पहुंची और सती धाम मंदिर की बाउंड्री वॉल के लिए नींव की खुदाई के दौरान निकले मुगलकाल के सिक्के अपने कब्जे में ले लिया. नींव की खुदाई के दौरान निकले सिक्कों की संख्या चार सौ बताई जा रही है.

सहारनपुर के एसपी ग्रामीण ने कहा कि इन सिक्कों पर अरबी भाषा में लिखा गया है जिसका इस्तेमाल मुगलकाल के दौरान किया जाता था. उन्होंने कहा कि ये सिक्के जांच के लिए पुरातत्व विभाग को भेजे जाएंगे. पुरातत्व विभाग की जांच के बाद ये पता चल पाएगा कि इन सिक्कों के निर्माण में किस धातु का उपयोग किया गया है.

पिछले साल हमीरपुर में मिले थे 11 सिक्के

उत्तर प्रदेश में मुगलकाल के सिक्के मिलने का ये कोई पहला मामला नहीं है. पिछले साल यानी 2022 के अगस्त महीने में हमीरपुर जिले में मुगलकाल के सिक्के मिले थे. हमीरपुर जिले में केन नदी के किनारे एक चरवाहे को मुगलकाल के 11 सिक्के मिले थे. इन सिक्कों पर अरबी और फारसी भाषा में लिखा हुआ था. जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने ये सिक्के बरामद कर पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को भेज दिए थे.