स्वीडन में फिर से कुरान जलाने के बाद बवाल, सैकड़ों मुसलमानों ने की पत्थरबाजी

अंतरराष्ट्रीय

स्वीडन में एक बार फिर से कुरान जलाए जाने का मामला सामने आया है। इसके बाद देश में हिंसक दंगे शुरू हो गए हैं जिसके बाद कम से कम तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। हालांकि फिलहाल पुलिस ने हालात को काबू में करने की बात कही है।

रविवार को इराकी नागरिक सलवान मोमिका ने शहर के मुख्य चौराहे पर कुरान की एक प्रति जलाई थी। इसके बाद देश में हिंसा भड़क उठी। तीन महीने पहले भी इसी शख्स ने स्वीडन के स्टॉकहोम की सबसे बड़ी सेंट्रल मस्जिद के सामने कुरान की एक प्रति जलाई थी।

पुलिस ने कहा कि गुस्साए प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने आगजनी रोकने की कोशिश की, जिसके परिणामस्वरूप उनके और पुलिस के बीच झड़प हुई। इसके बाद पुलिस ने कई लोगों को हिरासत में ले लिया।

पुलिस ने कहा है कि माल्मो शहर में सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ने के मामले में 10 लोगों को हिरासत में लिया गया है। यहां पर प्रवासी मुस्लिमों की काफी आबादी है। सोमवार सुबह युवा लोगों की गुस्साई भीड़ ने टायरों और मलबे में आग लगा दी।

पुलिस ने कहा है कि प्रदर्शनकारियों ने पत्थरबाज़ी की और पुलिस की गाड़ियों पर हमला किया। माल्मो पुलिस क्षेत्र के कमांडर पेट्रा स्टेनकुला ने स्थानीय मीडिया को बताया, “मैं समझता हूं कि इस तरह की घटनाएं तीव्र भावनाएं पैदा करती है, लेकिन हम रविवार दोपहर को देखी गई गड़बड़ी और हिंसा को बर्दाश्त नहीं कर सकते। रोसेनगार्ड में एक बार फिर हिंसा और बर्बरता देखना बेहद अफसोसजनक है।”

37 साल का सलवान मोमिका एक इराकी ईसाई शरणार्थी हैं। वह अप्रैल 2018 में स्वीडन पहुंचा था। उसे अप्रैल 2021 में शरणार्थी का दर्जा मिला था। सलवान खुद को नास्तिक और लेखक बताता है।

आपको बता दें कि इस साल स्कैंडिनेविया में कुरान जलाने की कई घटनाएं देखी गई हैं। जनवरी में, एक राजनेता रासमस पालुदान ने स्टॉकहोम में तुर्की दूतावास के बाहर कुरान की एक प्रति जला दी थी।

पिछले महीने स्वीडन के पड़ोसी देश डेनमार्क में भी कई बार सार्वजनिक रूप से कुरान जलाने की घटना देखी गई। इसके बाद डेनमार्क सरकार ने कहा कि वह पवित्र पुस्तकों के सार्वजनिक अपमान पर प्रतिबंध लगाने की योजना बना रहा है।

आपको बता दें कि सलवान मोमिका द्वारा स्वीडन में कुरान जलाने के बाद मध्य-पूर्व समेत इस्लामिक देशों की तीखी प्रतिक्रिया आई थी। मुस्लिम देशों ने स्वीडन पर ऐसी घटनाओं पर काबू पाने के लिए कहा था।

इसके बाद स्वीडन ने कुछ परिस्थितियों में ग्रंथों को जलाने वाले विरोध प्रदर्शनों को खत्म करने के लिए कानूनी उपाय तलाशने का वादा किया है।