गजब है यह शादी की रस्म… 3 रुपए का भोज ! न दहेज… ना ही दावत, खुद खाना पकाकर लाते हैं बाराती

रोचक

आदिवासी समाज में वधू पक्ष पर किसी भी तरह के भोज या फिर बारातियों के स्वागत में खाने के इंतजाम का प्रेशर नहीं रहता. अगर वधू पक्ष असमर्थ है तो बाराती खुद अपना खाना लेकर आते हैं आदिवासी समाज में महिलाओं को काफी सम्मान दिया गया है. वधू पक्ष के ऊपर किसी तरह का कोई दबाव न पड़े और उनको किसी भी कीमत में तकलीफ न पहुंचे इसी कारण से ऐसा किया जाता है वधू पक्ष ने यदि तीन रुपये का भोज देना स्वीकार किया तो इसका मतलब ये निकला कि कन्या पक्ष बारातियों को कुछ खिला नहीं सकता. तब वर पक्ष ही भोजन की व्यवस्था करेगा. बाराती अपना भोजन खुद लेकर जाएंगे. यदि वधू पक्ष ने पांच रुपये का भोज स्वीकार किया, तो बारातियों को एक समय खाना खिलाया जाएगा. जो वधू पक्ष अमीर हैं और बरातियों को भोजन कराना चाहते हैं, तब 16 रुपये का भोज स्वीकार करते हैं. इसके तहत वधू पक्ष ही पूरी व्यवस्था करता है. उन्होंने बताया कि वधू पक्ष पर भोज की बाध्यता नहीं है