लंदन के अखबार में छपी एक मीडिया रिपोर्ट को लेकर राहुल गांधी ने मोदी सरकार के खिलाफ नया मोर्चा खोल दिया है. बुधवार को राहुल गांधी ने संवाददाता सम्मेलन कर अडानी समूह, कोयला कीमतों और मोदी सरकार के फैसलों को लेकर कई आरोप लगाए.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देकर कहा कि अडानी ग्रुप ने कोयला इंपोर्ट करने में कोयले की कीमतें ज्यादा दिखाई और बिजली के दाम बढ़ा दिए. इस तरह से अडानी ग्रुप ने जनता की जेब से 12000 करोड़ रुपये ले लिए.
राहुल गांधी ने कहा कि अडानी जी इंडोनेशिया में कोयला खरीदते हैं और जब तक ये कोयला भारत पहुंचता है उसका दाम दोगुना हो जाता है. ऐसे करीब 12000 करोड़ रुपये अडानी ग्रुप ने हिन्दुस्तान की जनता के पॉकेट से निकाले हैं. राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि अडानी ग्रुप कोयले की कीमतों को बढ़ा हुआ यानी की ‘ओवरप्राइस’ दिखाता है, जिससे यहां बिजली की कीमतें बढ़ जाती हैं.
राहुल ने कहा कि कर्नाटक में कांग्रेस ने बिजली की सब्सिडी दी है, एमपी में हम देने जा रहे हैं. कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि अब पता लग रहा है कि हिन्दुस्तान में बिजली की बढ़ती कीमतों के पीछे अडानी ग्रुप है. भारत के नागरिकों को ये समझना है कि आपके बिजली का बिल जिस तरह से बढ़ता जा रहा है उसमें से 12000 करोड़ रुपये आपकी जेब में से सीधा अडानी जी ने लिए हैं.
राहुल ने अपने आरोपों को आधार देते हुए फाइनेंशियल टाइम्स लंदन की एक चर्चित रिपोर्ट का हवाला दिया. राहुल ने कहा कि आरोपों की ये बात फाइनेंशियल टाइम्स कह रहा है. कांग्रेस सांसद ने फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट को दिखाते हुए कहा कि ये उस व्यक्ति द्वारा सीधी चोरी है जिसे बार-बार, बार-बार भारत के प्रधानमंत्री द्वारा बचाया जा रहा है. राहुल ने कहा कि उन्हें समझ में नहीं आता है कि भारत के प्रधानमंत्री इस पर प्रतिक्रिया क्यों नहीं दे रहे हैं.
कांग्रेस सांसद ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भारत के प्रधानमंत्री की प्रोटेक्शन के बिना ऐसा हो ही नहीं सकता है, ये असंभव है. सवाल ये है कि इस जेंटलमैन पर कोई एक्शन क्यों नहीं लिया जा रहा है.
पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए राहुल ने कहा कि सेबी इस मामले की जांच कर रही है लेकिन सेबी कहती है कि उसे दस्तावेज नहीं मिल रहे, लेकिन इन लोगों को तो दस्तावेज मिल जाते हैं. फाइनेंशियल टाइम्स को सारे डॉक्युमेंट्स मिल गए, लेकिन सेबी को नहीं मिल पा रहे. सीधी सी बात है कि अडानी को सरकार के उच्चतम स्तर से प्रोटेक्शन मिल रहा है.
राहुल गांधी ने कहा कि पहले वो इस मामले में 20 हजार करोड़ रुपये के घोटाले की बात कर रहे थे लेकिन अब ये आंकड़ा बढ़कर 32 हजार करोड़ रुपया हो गया है. पता नहीं ये आगे चलकर कितना हो जाएगा.
फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट में क्या छपा है?
फाइनेंशियल टाइम्स में 12 अक्टूबर को इस विषय पर विस्तार से एक रिपोर्ट छापी गई है. ‘The mystery of the Adani coal imports that quietly doubled in value’ नाम के शीर्षक से लंदन से प्रकाशित इस रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि फाइनेंशियल टाइम्स द्वारा जांच किए गए कस्टम रिकॉर्ड्स से पता चलता है कि अडानी समूह जो भारत की अर्थव्यवस्था के बड़े हिस्से पर हावी है, ने बाजार मूल्य से काफी अधिक कीमत पर अरबों डॉलर का कोयला आयात किया है.
फाइनेंशियल टाइम्स की जांच के अनुसार डेटा लंबे समय से लग रहे इन आरोपों का समर्थन करते हैं कि देश का सबसे बड़ा निजी कोयला आयातक अडानी ईंधन की लागत को बढ़ा हुआ दिखा रहा है और इसकी वजह से लाखों भारतीय उपभोक्ताओं और व्यवसायों को बिजली के लिए अधिक भुगतान करना पड़ रहा है.
एफटी के अनुसार रिकॉर्ड से पता चलता है कि पिछले दो वर्षों में, अडानी ने ताइवान, दुबई और सिंगापुर में ऑफशॉर मध्यस्थों के जरिए 5 अरब डॉलर मूल्य का कोयला आयात किया, जो कई बार बाजार मूल्य से दोगुने से भी अधिक था.
एफटी के अनुसार इनमें से एक कंपनी का स्वामित्व एक ताइवानी व्यवसायी के पास है, जिसे हाल ही में एफटी द्वारा अडानी कंपनियों में एक बड़े छिपे हुए शेयरधारक के रूप में बताया गया था.
फाइनेंशियल टाइम्स की जांच में यह भी कहती है कि उसने 2019 से 2021 के बीच अडानी की एक कंपनी द्वारा इंडोनेशिया से भारत मंगाए गए कोयले की 30 खेप से जुड़े दस्तावेजों का अध्ययन किया. फाइनेंशियल टाइम्स ने आरोप लगाया है कि इन सभी मामलों में आयात दस्तावेजों में दिखाए गए कोयले के दाम निर्यात दस्तावेजों में दर्ज कोयले के दामों से बहुत ज्यादा थे. इस पूरे लेन-देन के दौरान कोयले की कीमतें 70 मिलियन डॉलर से ज्यादा बढ़ गई थीं.
अडानी समूह ने आरोपों को निराधार बताया
फाइनेंशियल टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में अडानी समूह की प्रतिक्रिया भी छापी है. फाइनेंशियल टाइम्स के अनुसार अडानी समूह इन सभी आरोपों से इनकार करता है. अडानी समूह ने कहा है कि एफटी की कहानी “पुराने, निराधार आरोप” पर आधारित है, और “सार्वजनिक रूप से उपलब्ध तथ्यों और सूचनाओं का एक चालाकीपूर्ण पुनर्चक्रण और चयनात्मक गलत बयानी है.”
एफटी की रिपोर्ट के अनुसार ईंधन की लागत बढ़ाने का आरोप पहली बार सात साल पहले भारतीय वित्त मंत्रालय की आर्थिक अपराध की जांच करने वाली जांच इकाई, राजस्व खुफिया निदेशालय की जांच में लगाया गया था.
एक ही कोयले की अलग-अलग कीमतें
फाइनेंशियल टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में एक जांच का विस्तार से हवाला दिया है. इसके अनुसार जनवरी 2019 में, दक्षिण कोरियाई मालिक और पनामा के झंडे के साथ 229 मीटर लंबा थोक वाहक डीएल अकेशिया नाम का पानी का जहाज, इंडोनेशिया के कलियोरंग बंदरगाह से रवाना हुआ. इस जहाज में भारत के एक ताप विद्युत घर के लिए कोयला भरा हुआ था.
एफटी की रिपोर्ट के अनुसार यात्रा के दौरान, कुछ असाधारण घटित हुआ. वो ये हुआ कि इस जहाज में लदे कोयले का मूल्य दोगुना हो गया. निर्यात रिकॉर्ड में इसकी कीमत $1.9 मिलियन थी, साथ ही स्थानीय लागत के लिए $42,000 अलग से आवंटित थे. एफटी का आरोप है कि अडानी द्वारा संचालित भारत के सबसे बड़े वाणिज्यिक बंदरगाह, गुजरात के मुंद्रा में पहुंचने पर इस कोयले का आयात मूल्य 4.3 मिलियन डॉलर दिखाया गया था.
फाइनेंशियल टाइम्स का कहना है कि डीएल अकेशिया कार्गो अडानी एंटरप्राइजेज द्वारा भारत में आयातित 30 शिपमेंट में से एक था, जिसकी एफटी ने विस्तार से जांच की थी. एफटी का दावा है कि सभी मामलों में कोयले का आयात करने वाले जहाज के कस्टम रिकॉर्ड का मिलान इंडोनेशिया में फाइल किए रिकॉर्ड से मैच किया गया था. ये रिकॉर्ड जनवरी 2019 से लेकर अगस्त 2021 के बीच का है. इसके बाद इंडोनेशिया के रिकॉर्ड मिलने बंद हो गए.
फाइनेंशियल टाइम्स का दावा है कि इंडोनेशियाई रिकॉर्ड्स के अनुसार, इन 30 बार की ट्रांजेक्शन में कुल 3.1 मिलियन टन कोयले की लागत $139 मिलियन थी, साथ ही इंडोनेशिया में शिपिंग और बीमा लागत $3.1 मिलियन थी. लेकिन भारत में सीमा शुल्क अधिकारियों को इस कोयले का मूल्य 215 मिलियन डॉलर बताया गया. फाइनेंशियल टाइम्स का दावा है कि इससे पता चलता है कि इस कोयले के इंडोनेशिया से भारत आने से 73 मिलियन डॉलर का मुनाफा हुआ.