जब चैलेंज मिला तो संसद में हनुमान चालीसा पढ़ने लगे शिंदे के बेटे…देंखे विडियो

राष्ट्रीय

लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा करने के दौरान शिवसेना सांसद और एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे ने हनुमान चालीसा का पढ़ा किया. साथ ही उन्होंने कहा कि एक समय महाराष्ट्र में हनुमान चालीसा पढ़ने पर भी रोक थी. दरअसल उनके संबोधन के दौरान किसी महिला सांसद ने उनसे पूछा कि क्या आपको हनुमान चालीसा आती है. इस सवाल के बाद श्रीकांत ने सदन में ही हनुमान चालीसा का पाठ करना शुरू कर दिया. वे तब तक हनुमान चालीसा कहते गए, जब तक कि उन्हें रोका नहीं गया. करीब 30 सेकेंड तक उन्होंने हनुमान चालीसा का पाठ किया.

अविश्वास प्रस्ताव के बाद बढ़ गईं NDA सदस्यों की संख्या
इससे पहले शिवसेना सांसद ने विपक्ष पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि 2018 में ही पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा दिया था कि विपक्ष उनके खिलाफ 2023 में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आएगा और आज वैसे ही ओ रहा है. उन्होंने कहा कि जब 2018 में विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया था तब 2019 में एनडीए के और सांसद सदस्य चुनकर आए. 2014 में एनडीए सांसदों की की संख्या 336 थी, जो बढ़कर 353 तक पहुंच गई. अब विपक्ष फिर से अविश्वास प्रस्ताव लाया है तो 2024 में यह संख्या 400 पर हो जाएगी.

विपक्षी दलों को यूपीए नाम से शर्म आती है
श्रीकांत शिंदे ने अपने संबोधन में कहा कि आज सदन में चर्चा अविश्वास की नहीं, अविश्वास के खिलाफ जनता के विश्वास की है क्योंकि जनविश्वास मोदी के साथ है. विपक्ष ने अपने गठबंधन का नाम UPA से बदलकर INDIA कर दिया है. इन्हें यूपीए नाम से शर्म आती है, क्योंकि यूपीए का नाम सुनते ही लोगों को भ्रष्टाचार, घोटाला, आतंकी हमले याद आते हैं.

विपक्षी गठबधंन का कोई नेता, नियत, नीति नहीं
शिवसेना नेता ने राहुल गांधी पर तंज कसते हुए कहा कि ये कहते हैं कि नफरत की दुकान में मोहब्बत की दुकान खोल रहा हूं. मुझे लगता है कि एक आदमी के विरोध में ये सभी लोग एकसाथ आ रहे हैं. जिसका कोई नेता नहीं, जिसकी कोई नियत नहीं है, जिसकी कोई नीति नहीं है, विपक्ष का ऐसा गठबंधन यहां खड़ा है.

ये स्कीम vs स्कैम की लड़ाई है…
शिंदे ने कहा कि गठबंधन का नाम INDIA रखकर ये लोग समझते हैं कि लोकतंत्र के नाम पर लोगों को बहलाया जा सकता है. आज इस गठबंधन में हर नेता Pm In Waiting है. इस टीम के पास कोई कैप्टन नहीं है और इन्हें वर्ड कप जीतना है. यह विनाश का गठबंधन है. यहां NDA vs INDIA की लड़ाई नहीं है बल्कि यह स्कीम vs स्कैम की लड़ाई है.

विपक्ष मणिपुर पर सिर्फ राजनीति करना चाहता है. सच्चाई यह है कि कांग्रेस नॉर्थ ईस्ट को लेकर कभी गंभीर नहीं थी, इसलिए कांग्रेस का साथ छोड़कर नॉर्थ ईस्ट ने मोदीजी का हाथ थामा.