भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर संयुक्त राष्ट्र की बैठक में हिस्सा लेने के लिए इस समय न्यूयॉर्क के दौरे पर हैं. यहां उन्होंने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पिछले साल अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां से भारतीयों को बाहर निकालने के मिशन को लेकर प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपनी आधी रात की चर्चा का जिक्र किया.
जयशंकर ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मुझे याद है कि पिछले साल आधी रात को अफगानिस्तान के मजार-ए-शरीफ में हमारे कॉन्सुलेट के पास हमला हुआ था. हम ताजा घटनाक्रमों पर नजर बनाए हुए थे और फोन के जरिए वहां अधिकारियों के संपर्क में थे. तभी मेरा फोन बजा. आमतौर पर जब प्रधानमंत्री फोन करते हैं तो कॉलर आईडी नहीं दिखती. मुझे थोड़ी हैरानी हुई लेकिन मैंने फोन उठाया. फोन प्रधानमंत्री का ही था. मेरे फोन उठाते ही उन्होंने पहला सवाल पूछा, जागे हो? रात के 12.30 बजे थे, मैंने कहा कि हां सर जागा हूं.
#WATCH | NY, US: Recounting India's evacuation effort from Afghanistan, EAM Jaishankar says, "It was past midnight… PM called me, his first question was – "Jaage ho?"… I apprised him that help is on its way. He told me to call him when it's done… that's a singular quality." pic.twitter.com/AxL7Ddp6d6
— ANI (@ANI) September 23, 2022
जयशंकर बताते हैं कि उन्होंने (मोदी) पूछा, अच्छा टीवी देख रहे हो. वहां (अफगानिस्तान) क्या हो रहा है? मैंने बताया कि हमला चल रहा है, भारतीयों तक मदद पहुंचाई जा रही है. इस पर प्रधानमंत्री ने कहा कि अच्छा, जब सब खत्म हो जाएगा तो मुझे फोन करना. मैंने उनसे कहा कि सर इसमें अभी दो-तीन घंटे और लगेंगे. जब खत्म हो जाएगा तो मैं आपके यहां (पीएमओ) बता दूंगा. इस पर उन्होंने कहा कि मुझे फोन कर देना.
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि मैं आपको यह सब इसलिए बता रहा हूं क्योंकि इससे पता चलता है कि सरकार में बैठे जो लोग हैं, जिनके साथ आप काम कर रहे हैं, वे कितने एक्टिव हैं या कितने संवेदनशील हैं. हमारे प्रधानमंत्री में यह विलक्षण गुण हैं कि वह अच्छे और बुरे हर समय में तैयार रहते हैं. हमने कोविड के समय में भी यह देखा था. आमतौर पर नेता सिर्फ अच्छे समय में ही साथ रहते हैं.
उन्होंने कहा, आपने देखा होगा कि कोविड के समय दुनियाभर के नेताओं ने किस तरह स्थिति को हैंडल किया. हर किसी ने आगे बढ़कर काम करने की हिम्मत नहीं दिखाई. यह नहीं कहा कि मैं इसकी जवाबदेही लूंगा. मैं मुश्किल फैसले लूंगा. लेकिन हमारे प्रधानमंत्री में यह विलक्षण गुण है कि वह हमेशा तैयार रहते हैं.
बता दें कि पिछले साल अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से भारत सरकार ने वहां फंसे भारतीयों को मुस्तैदी से बाहर निकाला था. इसके लिए बकायदा भारत सरकार ने ऑपरेशन देवशक्ति शुरू किया था.