छतरपुर में एक महिला अपने पति की बामारी को ठीक कराने के लिए उसे गोद में उठाकर सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगा रही हैं। मामला छतरपुर के लवकुशनगर के परसानिया गांव का है।
छतरपुर जिले के लवकुश नगर क्षेत्र के परसानिया गांव में रहने वाले अंशुल गौड़ (30) की शादी 6 साल पहले साल 2017 में प्रियंका गौड़ (23) से हुई थी। शादी के एक साल बाद ही अंशुल एक्सीडेंट का शिकार हो गया। उसके पैर और कमर में गंभीर चोटें आई थीं, तभी से वह चल-फिर नहीं कर पा रहा है। अंशुल को सर्वाइकल पेन (लकवा) की बीमारी हो गई। तभी से पत्नी अपने दिव्यांग पति कोई लेकर जिम्मेदारों की चौखट पर मदद की गुहार लगाने पहुंच रही है। आर्थिक तंगी से परेशान प्रियंका अपने पति के इलाज और मां के स्थान पर उसे अनुकंपा नियुक्ति दिलाने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रही हैं। प्रियंका कलेक्टर की जनसुनवाई में पति को गोद में लेकर पहुंची। यहां उसे कलेक्टर ने मदद का आश्वासन दिया है।
लाखों रुपए का कर्ज हो गया
आर्थिक तंगी से परेशान गंभीर परिस्थिति में प्रियंका जैसे-तैसे जेवर बेचकर 1 लाख 30 हजार रुपए लेकर कानपुर पहुंची। जहां न्यूरोन हॉस्पिटल में पति अंशुल का इलाज करा रही थीं। वहां 1 माह 10 दिन भर्ती रहने के दौरान उनका सारा पैसा खर्च हो गया, और अब पैसा न हो पाने के कारण 9 जुलाई को वह छतरपुर अपने गांव वापस आ गई। प्रियंका और उनके पति का कहना हैं कि उन पर लोगों का 3 लाख से अधिक का कर्ज हो गया है। जिसे पटा पाना मुश्किल हो रहा है। ऊपर से इलाज के लिए भी पैसे नहीं बचे हैं।
प्रिंयका गौर ने कहा कि मैं ज्योति मौर्या के जैसे नहीं हूं जो SDM बनने के बाद अपने पति को ही छोड़ दूं। मैं आखिरी दम तक पति का साथ दूंगी। उनका इलाज करवाऊंगी। मेरे लिए वो ही सब कुछ है। शादी को 6 साल हो गए है। शादी के एक साल बाद पति का एक्सीडेंट हो गया। इसमें उन्हें सरवाइकल पेन हो गया। तब से भटक रही हूं। कर्ज लेकर गुजर-बसर कर रही हूं। मेरे ऊपर साढ़े 3 लाख रुपए को कर्ज हो गया है। मैंने कलेक्टर साहब को आवेदन दिया है कि मेरे पति का इलाज कराएं। मैं इलाज कराने लायक नहीं बची हूं। कलेक्टर ने मदद का आश्वासन दिया है।
ज्योति मोर्या ने पद के लिए पति को छोड़ा इधर मध्यप्रदेश में प्रियंका आदिवासी अपने पति के इलाज के लिए लड़ रही जंग मदद की लगा रही गुहार !
यह ज्योति मोर्या नहीं छतरपुर की प्रियंका है,सड़क दुर्घटना में घायल पति अंशुल आदिवासी के इलाज के लिए भटकने को मजबूर है
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