रायपुर : IVF ट्रीटमेंट के दौरान गई महिला की जान, परिजन का आरोप-जिंदा बताकर लाश घुमाता रहा स्टाफ

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रायपुर में शादी के 5 साल होने के बाद भी जब 27 वर्षीय नीलम साहू की कोई संतान नहीं हुई तो उन्होंने टेस्ट ट्यूब बेबी पद्धति से मां बनना चाहा। लेकिन इंदिरा आईवीएफ सेंटर पंडरी के डॉक्टरों की लापरवाही ने महिला की जान ले ली। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। महिला के परिजनों ने महिला डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की है। महिला का शव मोवा के ममता अस्पताल में रखा गया है। पुलिस को इसकी सूचना दी गई है। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने महिला की मौत को छिपाया और दूसरे निजी अस्पताल रेफर कर दिया। 50 हजार जमा कराए, स्वस्थ संतान की गारंटी दी थी बताया कि अस्पताल ने सर्जरी के लिए 50 हजार जमा करवाए थे। डॉक्टरों ने महिला व उनके पति को स्वस्थ संतान होने की गारंटी दी थी, लेकिन लापरवाही ने महिला की जान ले ली। अस्पताल प्रबंधन पर महिला से जुड़े कोई भी दस्तावेज देने से इनकार करने का भी आरोप है। फिर अस्पताल प्रबंधन ने ममता अस्पताल से एंबुलेंस बुलाकर वहां रेफर कर दिया। दोपहर साढ़े 3 के आसपास ममता अस्पताल के डॉक्टरों ने महिला को मृत घोषित कर दिया। हालांकि सीपीआर दिया गया लेकिन शरीर में कोई हलचल नहीं हुई।

अस्पताल में 10 बजे के आसपास महिला डॉक्टर ये कहते हुए ओटी ले गई कि गर्भाशय का परदा हटाना है, छोटा सा ऑपरेशन है, एक-डेढ़ घंटे में हो जाएगा। महिला के देवर रूपेंद्र साहू के अनुसार दोपहर एक बजे के आसपास जब उन्हें ओटी में बुलाया तो उनकी नीलम की जीभ बाहर निकली हुई थी। मॉनीटर में सब कुछ जीरो था। तब स्टाफ ने कुछ कागजात पर हस्ताक्षर भी कराने चाहे, लेकिन महिला के पति ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। राजनांदगांव की नीलम पति मनोज साहू की शादी पांच साल पहले हुई थी। जब वह तीन बार गर्भवती हुई तो चौथे-पांचवें महीने में गर्भपात हो जाता था। इसके बाद वे आईवीएफ सेंटर आकर टेस्ट ट्यूब बेबी सिस्टम से संतान की चाह में रायपुर आ गए। इलाज जारी था। शुक्रवार को सुबह वे ट्रेन से 8 बजे के आसपास अस्पताल पहुंच गए। महिला को जब इंदिरा आईवीएफ सेंटर से लाया गया तो उसकी मौत हो चुकी थी।