दुनिया का सबसे बड़ा बीज कितना बड़ा और वजन का होता है ? इसके बारे में अगर पता चला तो शायद आप भी एकबारगी हैरत में तो आ ही जाएंगे. और जब इस चित्र को देखेंगे तो हैरानी और बढ़ेगी, क्योंकि ये बीज होता भी एक खास आकृति का है. इसे दुर्लभ बीज माना जाता है वो पेड़ जिसका ये बीज 40 किलोग्राम भारी होता है और आधे मीटर लंबाई वाला, वो कोको डी मेर का पेड़ है. ये एक तरह का ताड़ का पेड़ है, जिसका वैज्ञानिक नाम Lodoicea maldivica है. इसे दुनिया का सबसे बड़ा बीज माना जाता है. यह एक दुर्लभ और अनोखा बीज है, जो प्रकृति के चमत्कारों में एक है यह ताड़ (पाम) परिवार का हिस्सा है और मुख्य रूप से सेशेल्स द्वीप समूह के प्रालिन और क्यूरियस द्वीपों पर पाया जाता है. इस पेड़ यानि कोको डी मेर का इतिहास भी कम रोचक नहीं है यह बीज सेशेल्स में ही प्राकृतिक रूप से उगता है. 16वीं और 17वीं सदी में जब यूरोपीय नाविकों ने इसे हिंद महासागर में तैरते हुए देखा, तो इसे “समुद्री नारियल” समझा. उस समय किसी को नहीं पता था कि यह कहां से आता है. इसका नाम “कोको डी मेर” फ्रांसीसी भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ है “समुद्र का नारियल”. बाद में 18वीं सदी में सेशेल्स की खोज के साथ इसके पेड़ की पहचान हुई. यह खोज प्रकृति के रहस्यों को उजागर करने का एक बड़ा कदम थी . कोको डी मेर का बीज अपने विशाल आकार के लिए प्रसिद्ध है. यह आमतौर पर 40 से 50 सेंटीमीटर लंबा और 30 सेंटीमीटर चौड़ा होता है. इसका वजन 15 से 30 किलोग्राम तक हो सकता है, जो इसे दुनिया का सबसे भारी बीज बनाता है. कुछ असाधारण मामलों में इसका वजन 40 किलोग्राम तक भी दर्ज किया गया. इसका आकार इतना बड़ा होता है कि इसे एक व्यक्ति के लिए उठाना मुश्किल हो सकता है. यह आकार इसे अन्य सभी बीजों से अलग करता है, जैसे नारियल , जो इससे बहुत छोटा होता है
इस बीज की बनावट और दिखावट अनोखी है यह दो हिस्सों में बंटा हुआ प्रतीत होता है, जिसे “द्विलंबी” (Bilobed) संरचना कहते हैं. इसका बाहरी आवरण मोटा, कठोर और भूरा होता है, जो इसे पर्यावरणीय खतरों से बचाता है. इसकी आकृति कई बार मानव शरीर के निचले हिस्से से मिलती-जुलती लगती है, जिसके कारण इसे ऐतिहासिक रूप से जादुई और औषधीय गुणों से जोड़ा गया. अंदर का हिस्सा सफेद और मांसल होता है, जो खाने योग्य होता है, हालांकि यह बहुत स्वादिष्ट नहीं माना जाता इसकी संरचना इसे लंबे समय तक सुरक्षित रखने में मदद करती है.
कोको डी मेर का पेड़ भी उतना ही प्रभावशाली है. यह 25-34 मीटर तक ऊंचा हो सकता है. इसके पत्ते 7-10 मीटर लंबे और 4-5 मीटर चौड़े होते हैं. यह एक द्विलिंगी (Dioecious) प्रजाति है, यानी नर और मादा पेड़ अलग-अलग होते हैं मादा पेड़ ही बीज पैदा करते हैं, और एक बीज को पूरी तरह विकसित होने में 6-7 साल लगते हैं. यह पेड़ उष्णकटिबंधीय जलवायु में पनपता है, जहां मिट्टी अच्छी तरह से जल निकासी वाली और हवा में नमी अधिक हो. सेशेल्स का अनोखा पारिस्थितिकी तंत्र इसे बढ़ने के लिए आदर्श बनाता है.