World’s first Floating City: …पहले प्राचीन, फिर मध्यकालीन, फिर मॉडर्न और अब उससे भी आगे अल्ट्रामॉडर्न युग की ओर बढ़ रहे इंसान की फ्यूचर लाइफ कैसी होगी? इसे अगर जानना है तो आपको साइंस, टेक्नोलॉजी, डिजाइनिंग, आर्किटेक्ट, सिटी प्लानिंग आदि की दुनिया में हो रहे बदलावों को देखना होगा. हमने आपको अंडरग्राउंड सिटी, अंडरवॉटर सिटी, अंतरिक्ष टूरिज्म, माइक्रोनेशंस की दुनिया के बारे में बताया. ये सब वे जगहें हैं जहां जाना या देखना हम जैसे लोगों का सपना है. खासकर टूरिस्ट दुनिया के उन इलाकों में जाना पसंद करते हैं जो कुछ अलग हटकर जीवन का मजा देती हैं. आज हम आपको बताएंगे दुनिया की पहली फ्लोटिंग सिटी के बारे में जहां सबकुछ पानी के ऊपर तैरता हुआ होगा.
पानी पर बस रहे इस शहर में आप और हम जैसे लोग घर भी बसा सकेंगे, अपने रोज के काम कर सकेंगे और घूमने-फिरने का भी पूरा मजा ले सकेंगे. मॉडर्न लाइफस्टाइल और लग्जरी सुविधाओं से लैस दुनिया के इस पहले फ्लोटिंग सिटी यानी तैरते हुए शहर में क्या-क्या सुविधाएं होंगी, क्या कुछ खास होगा हमारी आज की लाइफ से अलग यहां? ये सब हम आपको आगे बताएंगे.
कहां बन रही है दुनिया की पहली फ्लोटिंग सिटी?
दुनिया की पहली फ्लोटिंग सिटी बनाने की दिशा में काम शुरू हुआ है दुनिया के सबसे मशहूर टूरिस्ट प्लेस मालदीव में. हाल ही में मालदीव की सरकार और Dutch Docklands के बीच इस फ्लोटिंग सिटी को बनाने की डील फाइनल हुई है. इस फ्लोटिंग सिटी के लिए मकानों का पहला ब्लॉक इसी महीने तैयार हो जाएगा. इस पर काम जारी है और इस कंस्ट्रक्शन को समंदर के इलाके में बने लैगून में ले जाकर अगस्त महीने में ही स्थापित कर दिया जाएगा. इसके बाद लोग यहां जाकर देख सकेंगे कि दुनिया के पहले फ्लोटिंग सिटी के घर कैसे होंगे. यहां लोग कैसे रहेंगे. यहां की सुविधाएं कैसी होंगी?
क्या-क्या सुविधाएं होंगी इस तैरते हुए शहर में?
यहां लैगून यानी समंदर में झील का इलाका लगभग 500 एकड़ में फैला हुआ है. यहां बनाया जा रहा तैरता शहर मॉर्डनिटी के साथ-साथ लोगों को प्राकृतिक जीवनशैली का भी पूरा मजा देगा. यूरोपीय शहर नीदरलैंड में बने फ्लोटिंग मकानों की तकनीक से प्रभावित होकर इस शहर को तैयार किया जा रहा है. इस फ्लोटिंग सिटी में 5000 घर होंगे. इस फ्लोटिंग सिटी में तैरते हुए मकानों के अलावा तैरते हुए कई तरह के निर्माण भी देखने को मिलेंगे जैसे- होटल, शॉप्स, रेस्टोरेंट भी होंगे. यहां बने मकान लो राइज होंगे और सी-फेसिंग होंगे.
कैसे पहुंचा जा सकेगा इस फ्लोटिंग सिटी तक?
सैलानियों के बीच पॉपुलर मालदीव की राजधानी माले से 15 मिनट की नाव यात्रा के जरिए इस फ्लोटिंग सिटी तक पहुंचा जा सकेगा. समंदर में बने लैगून यानी झील के इलाके में बस रहा ये तैरता शहर माले एयरपोर्ट से भी ज्यादा दूर नहीं है. अगले साल यानी जनवरी 2023 में इस फ्लोटिंग सिटी का निर्माण बड़े पैमाने पर शुरू हो जाएगा और पूरी तरह इसे तैयार होने में 4 से 5 साल का वक्त लगेगा. प्लानर मान रहे हैं कि दुनिया को अपनी पहली फ्लोटिंग सिटी साल 2027 में पूरी तरह तैयार होकर मिल जाएगी.
विदेशी लोग भी यहां खरीद सकेंगे घर
इस फ्लोटिंग सिटी परियोजना को मालदीव सरकार की पूरी मदद और मान्यता मिली हुई है. यहां विदेश के लोग भी मकान बुक कराकर रेसिडेंट परमिट हासिल कर सकते हैं. समंदर के बीच में बस रहे इस फ्यूचर सिटी में मॉडर्न लाइफस्टाइल के साथ-साथ प्राकृतिक जीवनशैली का मिश्रण भी देखने को मिलेगा. जहां दूर-दूर तक इंसानी बस्तियां नहीं होंगी तो प्रदूषण के हालात का भी लोगों को सामना नहीं करना पड़ेगा.
कैसी होगी यहां की ट्रांसपोर्ट व्यवस्था?
इस फ्लोटिंग सिटी की पूरी यातायात व्यवस्था लोकल समुद्री सिस्टम पर आधारित होगी. माले शहर की तरह यहां बनी नहरों के जरिए बोटिंग हीं यातायात का सबसे मुख्य साधन होगा. यहां न कारें अलाउड होंगी, न मोटर बाइक्स. यहां बने कैनल में बोट के जरिए लोग यात्राएं करेंगे. सफेद बालू के बने रोड पर पैदल यात्रा की भी सुविधा होगी. प्रदूषण फ्री रखने के लिए यहां साइकिल्स, इलेक्ट्रिक बग्घी या स्कूटर्स की भी अनुमति होगी.
मॉडर्न लाइफस्टाइल, लग्जरी सुविधाएं और फ्यूचर सिटी का लुक
इस फ्लोटिंग सिटी में आने-जाने के लिए कैनल वे, बोट ट्रांसपोर्ट, क्रूज समेत कई मॉडर्न सुविधाएं होंगी. बिजली सप्लाई के लिए अपना अलग स्मार्ट ग्रिड भी होगा. पानी के ऊपर बसा ये शहर प्राकृतिक आपदाओं से कैसे सेफ रहेगा या मौसम के बदलावों, समंदर की लहरों, सुनामी जैसे हालात या अगले 100 साल में समंदर के जलस्तर में वृद्धि आदि चुनौतियों का सामना कैसे करेगा? इसके लिए भी प्लानर्स पूरी स्टडी कर रहे हैं ताकि इन हालातों से निपटते हुए सेफ सिटी डेवलप की जा सके.
एक मेगा शिप की तरह न बनाकर इस फ्लोटिंग सिटी को अलग-अलग ब्लॉक्स में बनाकर मैनेजमेंट की अच्छी व्यवस्था डेवलप की जा रही है. इसके अलावा समंदर की लहरों का कम असर हो इसलिए आसपास के इलाकों में नेचुरल कोराल डेवलप किया जा रहा है जो समंदर की लहरों के लिए ब्रेकर का काम करेंगे.
दुनिया के तटीय शहर क्या सीख सकते हैं इस प्रोजेक्ट से?
सी-राइज समंदर तट पर बसे दुनिया के कई शहरों को डुबाते जा रहा है. क्लाइमेट पर हुए एक अध्ययन में पाया गया है कि दुनिया के कम से कम 33 शहर एक वर्ष में 1 सेमी से अधिक डूब रहे हैं. उदाहरण के लिए, इंडोनेशिया अपनी राजधानी को 10.5 मिलियन की मेगासिटी जकार्ता से 2,000 किमी दूर बोर्नियो द्वीप पर एक नवनिर्मित शहर में स्थानांतरित कर रहा है क्योंकि जकार्ता डूब रहा है. वहीं, प्राचीन झीलों की मिट्टी पर बना मेक्सिको सिटी, पीने के पानी के लिए भूमिगत कोराल को निकालने के दशकों के बाद प्रति वर्ष लगभग 50 सेंटीमीटर की दर से डूब रहा है. मुंबई, जो प्रति वर्ष 0.8 सेंटीमीटर तक डूब रहा है, तटीय बाढ़ से बढ़ते जोखिम के साथ-साथ लगातार बिगड़ती बारिश से बाढ़ का सामना कर रहा है.
दुनियाभर में पिघलते ग्लेशियर से बढ़ता सी लेवल तटीय इलाकों में बसे शहरों के लिए खतरा बनता जा रहा है. साल 1880 से लेकर अब तक सी लेवल 8 से 9 इंच तक बढ़ चुका है. जबकि इस सदी के आखिर तक यह एक फुट तक और बढ़ सकता है. एम्सटर्डम, बैंकॉक, ढाका, ह्यूस्टन, जकार्ता, मियामी, वेनिस जैसे शहरों पर डूब जाने का खतरा मंडरा रहा है.
हर साल 20 लाख विदेशी सैलानी दुनियाभर से मालदीव घूमने आते हैं. ये फ्लोटिंग शहर जहां एक टूरिस्ट प्लेस बनाने के मकसद से तैयार किया जा रहा है वहीं दुनिया को फ्लोटिंग सिटीज का आइडिया देने के साथ-साथ क्लाइमेट इनोवेशन की राह भी दिखा सकता है. क्लाइमेट एक्सपर्ट ये चेतावनी दे रहे हैं इन शहरों को जल्द ही खुद को बचाने के लिए इनोवेटिव तरीके अपना लेने होंगे.
यूरोप के शहरों में खासकर नीदरलैंड जैसे शहरों में बार-बार पानी भरने और बाढ़ से बचने के लिए फ्लोटिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल लंबे समय से हो रहा है. अब बढ़ते सी-राइज के खतरे को देखते हुए दुनिया के कई शहरों में मालदीव की ये फ्लोटिंग सिटी उदाहरण बन सकती है.