तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने एक बार फिर चीन की खिंचाई की है। दलाई लामा ने गुरुवार को कहा है कि वह भारत के खुले लोकतंत्र में अंतिम सांस लेने पसंद करेंगे न कि आर्टिफिशियल चीनी अधिकारियों के बीच में। उन्होंने यह टिप्पणी हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला स्थित अपने आवास पर यूनाइटेड स्टेटस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस (USIP) की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में युवाओं को संबोधित करते हुए की।
आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने कहा, ‘भारत के सच्चे और प्यार करने वाले लोगों, एक स्वतंत्र और खुले लोकतंत्र में वो अंतिम सांस लेना पसंद करेंगे।’ उन्होंने आगे कहा, मैंने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि मैं 15-20 साल और जीवित रहूंगा। आखिरी समय में मैं भारत में रहना पसंद करता हूं। भारत प्यार दिखाने वाले लोगों से घिरा हुआ है। यहां बनावटी कुछ भी नहीं है। अगर में चीनी अधिकारियों के बीच में मरूंगा तो वो बहुत आर्टिफिशियल होगा। मैं इस देश के स्वतंत्र लोकतंत्र में मरना पसंद करता हूं।
Dalai Lama: “At the time when I die, I prefer dying in India. India is surrounded with people who show love, not artificial something. If I die surrounded by Chinese officials, too much artificial. I prefer dying in India – free democracy.”https://t.co/dLuwo7nmXr
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) September 22, 2022
मौत के समय दोस्तों से घिरा होना चाहिए
फेसबुक पोस्ट किए गए एक वीडियो में उन्होंने कहा, मौत के समय… मौत के समय दोस्तों से घिरा होना चाहिए जिनमें वास्तव में आपके लिए सच्ची भावनाएं दिखती हों। दलाई लामा, जो दुनिया भर में अपनी प्रबुद्ध आध्यात्मिक शिक्षाओं और बुद्धिमान राजनीतिक विचारों के लिए जाने जाते हैं। दलाई लामा और चीनी सरकार का छत्तीस का आंकड़ा रहता है। चीनी अधिकारी अक्सर उन्हें एक विवादिस्पद व्यक्ति और अलगाववादी व्यक्ति के रूप में मानते हैं।
चीन के सामने कई बार उठा चुके हैं तिब्बत मुद्दा
1950 के दशक में, जब चीन ने तिब्बत पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया, तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा को भारत में शरण लेनी पड़ी। दलाई लामा ने तिब्बत के मुद्दे को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए चीन के साथ बीच-बीच में बातचीत की वकालत करने की कोशिश की। दलाई लामा पर भारत सरकार की स्थिति स्पष्ट रही है। वह एक श्रद्धेय धार्मिक नेता हैं और भारत के लोगों द्वारा उनका गहरा सम्मान किया जाता है। उन्हें भारत में अपनी धार्मिक गतिविधियों को करने की पूरी स्वतंत्रता दी गई है।