यूपी के बांदा में साल 2008 में नाबालिग लड़के के खिलाफ एक महिला के दर्ज कराया था. शिकायत में महिला ने कहा था कि लड़के ने उसकी नाबालिग बेटी को अश्लील लेटर लिखा साथ ही बेटी के साथ छेड़छाड़ भी की. पुलिस ने नाबालिग के खिलाफ केस दर्ज कर लिया था और मामला कोर्ट में पहुंच गया था.
बीते 15 साल में इस मामले में कई तारीखें पड़ीं और कई जज बदल गए. अंत में युवक को दोषी मानते हुए उसे एक साल की सजा जज ने सुना दी. इस पर जवान हो चुका आरोपी बोला कि मैं केस लड़ने में सक्षम नहीं हूं. जज ने आरोपी को एक साल की परिवीक्षा की सजा सुनाई है और उस पर 3 हजार रुपये का हर्जाना भी लगाया है. एक लव लेटर के कारण युवक को अब परेशानी झेलनी पड़ रही है.
दरअसल, मामला शहर कोतवाली के एक गांव का है. यहां की रहने वाली महिला ने साल मई 2008 थाने में जाकर गांव के नाबालिग लड़के के खिलाफ केस दर्ज कराया था. उस पर आरोप था कि उसने महिला की 14 साल की बेटी स्कूल जाते पर छेड़ा, साथ ही अश्लील हरकत की. महिला ने अपनी शिकायत में यह भी लिखाया था कि 21 मई 2008 को नाबालिग लड़के ने मेरे छोटे बेटे के हाथों बेटी को अश्लील लेटर भेजा था. जिसमें लिखा था कि यदि तुमने मामले की शिकायत पुलिस से की तो तुम्हें और तुम्हारे परिवार को जान से खत्म कर दूंगा.
कई जज बदले, 70-80 तरीखें हुईं
पुलिस ने आरोपी के खिलाफ केस दर्ज कर लिया था और फिर मामला कोर्ट में चला गया था. साल 2008 से लेकर 2023 तक इन मामले की 15 साल तक सुनवाई चली. 70-80 तारीखें लगीं और करीब आधा दर्जन के करीब जज भी बदल गए. कोर्ट की सुनवाई के दौरान तमाम दलीलें दी गईं, गवाह पेश किए गए.
मिली एक साल की सजा
मामले की पैरवी कर रहे अभियोजन अधिकारी राजेश कुमार ने सारी दलीलें जज बीड़ी गुप्ता के सामने रखीं. आरोपी ने जज के सामने अपना जुर्म कबूल किया. जज ने सदाचरण यानी भाईचारे बनाये रखने के लिए आरोपी को एक वर्ष की अनोखी सजा सुनाई. मगर, आरोपी ने जज से माफी मांगते हुए कहा कि वह केस लड़ने में असमर्थ है. साथ ही उसने कहा कि ऐसी गलती फिर से नहीं करेगा.
इस पर जज ने आरोपी को एक साल परिवीक्षा की सजा सुनाई यानि कि वह एक साल तक वह अभियोजन अधिकारी के पर्यवेक्षण में रहेगा. यदि कोई गलत कार्य करेगा तो उसे सजा भुगतनी पड़ सकती है. उसे हर महीने की पहली तारीख को प्रोवेशन अधिकारी के सामने हाजिरी देनी होगी.