आपने अब तक फूलगोभी का रंग सफेद या मटमैला देखा होगा, लेकिन अब पीली और गुलाबी गोभी बाजार में आने लगी है। कामधेनु विवि के कृषि विज्ञान केंद्र में भी इसका उत्पादन किया जा रहा है। खास बात यह है कि इन गोभियों में कैल्शियम, फॉस्फोरस, मैग्निशियम और जिंक तत्व की मात्रा काफी अधिक होती है। इससे न सिर्फ इम्युनिटी बढ़ती है बल्कि ये तत्व यह बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद जरूरी हैं। इसमें फाइटोकेमिकल्स, पोलीफेनॉल, क्वेंरसेटिन और ग्लूको साइड जैसे पोषक तत्व भी पाए जाते हैं, जो डायबिटीज को नियंत्रित करता है।
गोबर खाद से भी ले सकते हैं फसल
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार यह फूलगोभी की बायो डायवर्सिटी किस्म की प्रजातियां हैं। इसे प्राकृतिक खेती से तैयार किया गया है। जिले की जलवायु के अनुकूल इसका उत्पादन किया गया है। इसके लिए 15 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान उचित रहता है। इसे सामान्य गोभी की तरह जुताई करके गोबर खाद का उपयोग करते हुए इसकी फसलें ली जा सकती हैं।
सफेद गोभी से 3 गुना दाम
पीली, गुलाबी गोभी से आय भी सफेद गोभी की तुलना से तीन गुना और ब्रोकली से 4 गुना अधिक होती है। इससे पहले महाराष्ट्र, बिहार, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर के कुछ इलाकों में इस तरह की गोभी लगा रहे हैं। पीली, गुलाबी की खेती ब्रिटेन व फ्रांस, स्विट्जरलैंड में प्रचुर मात्रा में की जाती है।