कन्नौज : प्रेमिका के बेटे को 6 घंटे बंधक बनाकर बैठा रहा, कनपटी पर तमंचा, SOG ने सिरफिरे को गोली मारी

कन्नौज में एक सिरफिरे ने प्रेमिका के 8 साल के बच्चे को 6 घंटे तक बंधक बनाकर रखा। वह प्रेमिका को बुलाने की जिद पर अड़ा था। पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे तो उसने अपनी कनपटी पर तमंचा सटा लिया। अफसरों से बोला- पहले महिला को बुलाओ, जब तक आ नहीं जाती, बाहर वेट करो। उसने पुलिसकर्मियों से पानी की बोतल और गुटखा भी मंगवाया। कहने लगा कि मैं तक तब बैठा रहूंगा, जब तक बच्चे की मां आ नहीं जाती है। आरोपी ने अपने एक हाथ में तमंचा, दूसरे में मोबाइल और मुंह में कारतूस दबा रखा था। वह कभी तमंचे को अपने कनपटी पर सटाकर खुदकुशी करने की धमकी देता। कभी बच्चे को डराता-धमकाता। डरा-सहमा बच्चा लगातार रोता रहा।
पुलिसवाले भी कमरे में जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे। शाम साढ़े 7 बजे SOG ने आरोपी के बाएं पैर पर गोली मारकर बच्चे को सकुशल बरामद किया। आरोपी को पकड़ लिया गया है। उसे अस्पताल ले जाया गया। यह पूरा मामला मामला छिबरामऊ कोतवाली क्षेत्र के काशीराम कॉलोनी का है।

बच्चे के बंधक बनाए जाने के मामले का शासन ने संज्ञान लिया था। बच्चे को सकुशल बरामद करने के निर्देश दिए गए थे। इस ऑपरेशन में कोई गलती न हो जाए। इसलिए पुलिस ने ऑपरेशन में साढ़े 6 घंटे लगा दिए।

ASP अजय कुमार, CO सुरेश मलिक, कोतवाली प्रभारी विष्णुकांत तिवारी पहुंच गए थे। छिबरामऊ, गुरसहायगंज और सौरिख थानों के फोर्स ने आसपास के इलाके को घेर लिया था। शाम 7 बजे तक जब पुलिस अफसर आरोपी को समझाते रहे। लेकिन वह नहीं माना। आखिरकार SOG टीम को बुलाया गया। SOG प्रभारी देवेश पाल अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने सिपाही दुष्यंत यादव और गौरव के साथ आरोपी से बातों में उलझाना शुरू किया। आरोपी को इस बात की आशंका हो गई कि उसका एनकाउंटर हो सकता है। इसलिए उसने SOG टीम पर फायरिंग शुरू कर दी। पुलिसकर्मियों ने खुद को बचाते हुए कमरे में दाखिल हुए। छीनाझपटी में SOG प्रभारी के दाहिने हाथ के अंगूठे में चोट लगी। सिपाही दुष्यंत को भी चोट लगी। तभी आरोपी बच्चे को छोड़कर दूसरे कमरे में भागा। एक पुलिसकर्मी ने बच्चे को बाहर खींच लिया। इस बीच आरोपी ने दूसरा फायर किया। जवाब में पुलिस टीम ने भी फायरिंग कर दी। आरोपी के पैर में गोली लगी और घायल होकर कमरे में गिर गया। अन्य पुलिसकर्मियों ने उसे भी दबोच लिया। काशीराम कालोनी में अर्चना (40) अपने परिवार के साथ रहती है। उसके तीन बच्चे हैं। इनमें देव (18), प्रीती (16) और प्रांशु 8 साल का है। पति संजय की दो साल पहले मौत हो चुकी है। अर्चना प्राइवेट नौकरी करती है। नौकरी के दौरान अर्चना की मुलाकात तालग्राम थाना क्षेत्र के सलेमपुर गांव निवासी दीपू चक (35) से हुई। दीपू भी प्राइवेट नौकरी करता है। धीरे-धीरे दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ने लगीं। दीपू अपना ज्यादातर समय अर्चना के घर बिताने लगा। अर्चना के बच्चों को दीपू पसंद नहीं था। वह मां के अफेयर का विरोध करने लगे। मामला बिगड़ता देख दीपू ने शादी करने की ठान ली। 4 महीने पहले दीपू और अर्चना ने कोर्ट मैरिज कर ली। इधर, पिछले 8 या 10 दिनों से जब दीपू उसके घर आता तो अर्चना बहाना करके कहीं चली जाती।

दीपू ने उसके बारे में जानकारी करनी चाही, लेकिन कोई सही जानकारी नहीं मिल सकी। उसे शंका हुई कि महिला किसी अन्य व्यक्ति के पास रहने लगी है तो आग बबूला हो गया। दीपक गुस्से में शुक्रवार की दोपहर 1 बजे कांशीराम कालोनी में अर्चना के घर पहुंच गया। वह बहुत गुस्से में था। बच्चों से पूछने लगा कि तुम्हारी मां कहां है? जब उसे अर्चना के बारे में कुछ पता नहीं चला तो करीब डेढ़ बजे तमंचा निकालकर उन्हें कमरे में बैठा लिया।

बच्चों को तमंचा दिखाकर धमकाने लगा। इसी बीच महिला की एक बेटी किसी तरह कमरे से बाहर निकल आई और उसने शोर मचा दिया। जिससे वहां भीड़ लग गई।

करीब 2 बजे पुलिस टीम भी कालोनी पहुंच गई। बच्चों को सुरक्षित छुड़ाने के प्रयास करने लगी।

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