‘बिहार नहीं छोड़ेंगे, दोगुनी मेहनत से करेंगे व्यवस्था बदलने का प्रयास’, प्रशांत किशोर का ऐलान

प्रशांत किशोर ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि जिस दल को सिर्फ साढ़े तीन फीसदी वोट आया है, उसकी पीसी में इतने लोग आए हैं. यह दिखाता है कि हमने कुछ तो अच्छा काम किया होगा. हम व्यवस्था परिवर्तन की बात के साथ आए थे, उसमें सफलता नहीं मिली. सत्ता परिवर्तन भी हम नहीं करा सके. कुछ गलती रही होगी कि जनता ने हम पर भरोसा नहीं दिखाया. इसकी जिम्मेदारी मेरी है. मैं बिहार की जनता का विश्वास नहीं जीत पाया. हम सामूहि तौर पर हारे हैं. आत्मचिंतन का समय है. आत्मचिंतन करेंगे. जो लोग जीतकर आए हैं, उनको बधाई. नीतीश जी और बीजेपी को बधाई कि जिन बातों पर जीतकर आए हैं, वो वादे पूरे करें. बिहार में पलायन बंद हो. एक नई व्यवस्था की उम्मीदों पर, आकांक्षाओं पर खरा नहीं उतर पाने का दोष मेरा है. मैं व्यवस्था बनाने में नाकामयाब रहा हूं. दो दिन बाद 20 तारीख से गांधी आश्रम में एक दिन का मौन उपवास रखूंगा. प्रायश्चित के तौर पर हम लोग उपवास रखेंगे. कमी रही होगी, लेकिन हम लोगों ने गुनाह नहीं किया. वोट नहीं मिलना गुनाह नहीं है. सिर उठाकर ये कह सकता हूं.

कहा कि जिस बिहार में 30-35 साल में केवल जाति की राजनीति हुई है, हमने जाति का जहर फैलाने का गुनाह नहीं किया है. हिंदू-मुस्लिम फैलाने का गुनाह नहीं किया. जो लोग यह करते रहे हैं, वह जीत भी गए हैं तो जवाब देना ही पड़ेगा. चक्रव्यूह का उदाहरण देते हुए पीके ने कहा कि जीत तो जन सुराज की ही होगी. कमियों को सुधार कर उतनी ही ताकत से फिर खड़े होंगे. हम बिहार नहीं छोड़ेंगे. हमारी बिहार सुधारने की जो जिद्द है, उससे पीछे नहीं हटने वाले. जितनी मेहनत करते तीन साल में आपने देखा है, उससे दोगुनी मेहनत करेंगे. जब तक बिहार को सुधारने के अपने संकल्प को पूराकर लें, पीछे हटने का कोई सवाल ही नहीं है. एनडीए को मिले बहुमत के पीछे 40 हजार करोड़ रुपये जनता का पैसा खर्च किए जाने को वजह बताया और कहा कि 10 हजार रुपये के लिए लोगों ने अपना वोट नहीं बेचा है. उन्होंने दावा किया कि जीविका दीदियों से लेकर आशा तक, सबको लगाया गया. बाहर से आए प्रवासियों को पांच-पांच हजार रुपये दिया गया कपड़ा के नाम पर. 40 हजार करोड़ रुपये खर्च करने का वादा किया गया.

राजनीति से संन्यास के सवाल पर पीके ने कहा कि किस पद पर हूं कि इस्तीफा दे दूं. यह नहीं कहा था कि बिहार छोड़ देंगे, बिहार में रहेंगे. ये तो नहीं कहा है कि बिहार के लोगों की बात कहना छोड़ देंगे. हम अपनी बात पर कायम हैं. दो लाख रुपया दे दीजिए, हम बिल्कुल छोड़ देंगे. सरकार ने डेढ़ करोड़ लोगों को 10-10 हजार रुपये दिया है. यह मानने को तैयार हूं, सरकार चाहे तो योजना शुरू कर सकती है. इलेक्शन कमीशन ने चुनाव के दौरान ये पैसा बांटने दिया, हम उस पर भी नहीं बोल रहे. जिस योजना के नाम पर आप सत्ता में आए हैं, उसे शुरू कर दीजिए, हम बिहार ही छोड़ देंगे. नीतीश कुमार की जीत और हार में एक ही बात है. क्या सरकार ने 10 हजार रुपये देकर वोट खरीदा है कि नहीं खरीदा है. हमने स्पष्ट कहा कि नीतीश कुमार की सरकार जिस योजना के तहत यह पैसा देने की बात कही है, उसके गजट को देख लीजिए, उसमें यह नहीं कहा कि यह वन टाइम पेमेंट है. योजना के तहत 10 हजार रुपया दिया जा रहा है. अगर आप स्वरोजगार का काम करेंगे तो दो लाख रुपया तक दिया जाएगा.

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