नारायणपुर में 28 नक्सलियों ने किया सरेंडर, 22 माओवादियों पर था कुल 89 लाख रुपये का इनाम

छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में मंगलवार को 28 नक्सलियों ने सरेंडर किया है। इनमें 19 महिला नक्सली शामिल हैं। IG सुंदरनाराज पी समेत अन्य पुलिस अधिकारियों के सामने सभी ने आत्मसमर्पण किया है। 3 नक्सली अपने साथ SLR, इंसास और 303 राइफल लेकर आएआत्मसमर्पण करने वालों में 19 महिला नक्सली भी शामिल हैं। जबकि 9 पुरुष माओवादियों ने भी मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया है। इनमें से 22 पर 89 लाख रुपये का इनाम घोषित था।

नक्सलियों के सरेंडर की जानकारी देते हुए पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आज जिन नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है उनमें डिविजनल कमेटी के सदस्य पंडी ध्रुव उर्फ दिनेश, पूर्व बस्तर डिवीजन की कंपनी नंबर छह की सदस्य दुले मंडावी, छत्तीस पोयाम और पदनी ओयाम के सिर पर आठ-आठ लाख रुपये का इनाम था। वहीं, एरिया कमेटी सदस्य लखमू उसेंडी, लिमि उर्फ सुखमती नुरेटी, मासे उर्फ सकीला कश्यप, शामबत्ती शोरी, चौते उर्फ रजिता पद्दा और बुधरा रवा के सिर पर पांच-पांच लाख रुपये का इनाम है। उन्होंने बताया कि चार नक्सलियों पर तीन-तीन लाख रुपये, दो नक्सलियों पर दो-दो लाख रुपये तथा छह नक्सलियों पर एक-एक लाख रुपये का इनाम घोषित था।

अधिकारियों ने बताया कि इसके साथ ही आत्मसमर्पण करने वाले तीन नक्सलियों द्वारा जमा किए गए तीन हथियारों के लिए कुल पांच लाख रुपये का इनाम है। अधिकारियों ने बताया कि यह राज्य शासन का ‘पूना मारगेम’ पहल के तहत स्थायी शांति और सकारात्मक बदलाव की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है। यह पुनर्वास नारायणपुर के स्थानीय समाज, प्रशासन, पुलिस और सुरक्षाबलों के सतत, समन्वित तथा दृढ़ प्रयासों का परिणाम है।

नारायणपुर जिले के पुलिस अधीक्षक ने बताया कि आज की कार्रवाई के साथ इस वर्ष जिले में कुल 287 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने कहा, ”नारायणपुर जिले में 28 माओवादी कैडर का पुनर्वास यह दर्शाता है कि हिंसक और जनविरोधी माओवादी विचारधारा का अंत अब निकट है। लोग ‘पूना मारगेम : पुनर्वास से पुनर्जीवन’ पहल पर भरोसा जताते हुए शांति, गरिमा और स्थायी प्रगति का मार्ग चुन रहे हैं।’’

सुंदरराज ने बताया कि छत्तीसगढ़ शासन, भारत सरकार, बस्तर पुलिस, स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा बल क्षेत्र में शांति स्थापित करने, पुनर्वास सुनिश्चित करने और समावेशी विकास को आगे बढ़ाने के लिए पूर्णत प्रतिबद्ध हैं। पिछले 50 दिनों में बस्तर क्षेत्र में 512 से अधिक नक्सलियों ने हिंसा का मार्ग छोड़कर सामाजिक मुख्यधारा से जुड़ने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा, ”शेष माओवादी कैडर के पास हिंसा त्याग कर मुख्यधारा में शामिल होने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा है।’’

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