दलाई लामा बोले- उत्तराधिकारी का चयन बौद्ध परंपराओं से होगा, इसमें चीन की कोई भूमिका नहीं होगी

तिब्बती बौद्धों के आध्यात्मिक प्रमुख और 14वें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो ने अपने उत्तराधिकारी के चयन को लेकर बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि उनकी मृत्यु के बाद ही नया उत्तराधिकारी बौद्ध परंपराओं के मुताबिक चुना जाएगा। दलाई लामा ने चीन के संबंध में बड़ा बयान देते हुए कहा कि उनके उत्तराधिकारी के चयन में चीन की किसी भी तरह की भूमिका नहीं होगी। उन्होंने कहा कि दलाई लामा की संस्था भविष्य में भी जारी रहेगी। दलाई लामा ने कहा कि उनके उत्तराधिकारी की पहचान और मान्यता की पूरी प्रक्रिया गादेन फोडरंग ट्रस्ट ही करेगा। उन्होंने कहा कि इसमें किसी भी व्यक्ति, संस्था या सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। यह ट्रस्ट अलग-अलग बौद्ध परंपराओं के प्रमुखों से परामर्श करेगी और पारंपरिक और आध्यात्मिक प्रक्रियाओं का पालन करते हुए 15वें दलाई लामा का चयन करेगी। अटकलें थीं कि 15वें दलाई लामा को चीन नियुक्त कर सकता है।

दलाई लामा ने कहा, “भविष्य के दलाई लामा को मान्यता देने की प्रक्रिया 24 सितंबर 2011 के बयान में स्पष्ट रूप से स्थापित की गई है, जिसमें कहा गया है कि ऐसा करने की जिम्मेदारी केवल गादेन फोडरंग ट्रस्ट की होगी। मैं इस बात को दोहराता हूं कि ट्रस्ट को भविष्य के पुनर्जन्म को मान्यता देने का एकमात्र अधिकार है, किसी और को इस मामले में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।”

दलाई लामा ने अपने उत्तराधिकारी के चयन में किसी भी तरह के बाहरी हस्तक्षेप को नकारा है। इसे चीन के लिए संदेश माना जा रहा है, क्योंकि वो अगले दलाई लामा को लेकर कुछ कदम उठा सकता था।
हाल ही में सामने आई अपनी किताब में भी दलाई लामा ने लिखा है कि उनका अगला अवतार चीन के बाहर एक स्वतंत्र दुनिया में जन्म लेगा, संभवत: भारत या किसी अन्य देश में।

14वें दलाई लामा 6 जुलाई को 90 साल के हो जाएंगे। उनके जन्मदिन को लेकर अभी से ही उत्सव शुरू हो गए हैं। दलाई लामा ने 2011 में कहा था कि वे अपने 90वें जन्मदिन पर उत्तराधिकारी और दलाई लामा की संस्था को लेकर बड़े ऐलान करेंगे। चीनी शासन के खिलाफ असफल विद्रोह के बाद 1959 में तिब्बत से भागकर दलाई लामा भारत आ गए। फिलहाल वे हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में रहते हैं।

 

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