असम : भरभरा कर नदी में समा गई मस्जिद, मुसलमानों ने सरकार से लगाई गुहार…

असम में लगातार मुसलमानों के धार्मिक स्थलों और मदरसों पर सरकार बुलडोजर चला रही है तो दूसरी तरफ कुदरत खुद बुलडोजर बन गई है भारी बारिश और ब्रह्मपुत्र नदी के तेज बहाव की वजह से असम के कई इलाकों में बाढ़ और भू कटाव से हालात गंभीर हो गए हैं. इसका सबसे बड़ा नुकसान सिर्फ घरों, खेतों और स्कूलों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अब तो ऐतिहासिक मस्जिदें और धार्मिक स्थल भी नदी में समा रहे हैं. धुबरी जिले के फकीरगंज क्षेत्र में स्थित बासमोरा मस्जिद का शुमार एक ऐतिहासिक धरोहर के रुप में होता था. यह मस्जिद भी कुछ दिन पहले ही कैमरे के सामने नदी में समा गई. इससे पहले इसी जिले के वहाब बाजार मस्जिद को भी नदी ने अपनी लहरों में निगल लिया था. लगातार हो रहे भू कटाव के चलते इस क्षेत्र में कई और धार्मिक स्थल खतरे में हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि ये मस्जिदें सिर्फ इबादत की जगह नहीं, बल्कि इतिहास और विरासत का प्रतीक भी थीं. लेकिन सरकार भू कटाव को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है, जिससे स्थानीय लोगों की नाराजगी बढ़ती जा रही है.
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— Vinod kumar Singh Raikwar (@SonOfAvadh) July 30, 2025
स्थानीय निवासी अशरफ अली और अन्य मुस्लिम समाज के लोगों ने सरकार से मांग की है कि इन ऐतिहासिक स्थलों की रक्षा के लिए जल्द से जल्द ठोस कदम उठाए जाएं. उनका कहना है कि अगर समय रहते सरकार ने एक्शन नहीं लिया, तो आने वाले दिनों में और भी मस्जिदें, ईदगाहें और धार्मिक स्थल नदी में समा जाएंगी. अशरफ अली ने फकीरगंज की मस्जिद का इस तरह कटाव की वजह से नदी में डूब जाना बड़े दुख की बात है. उन्होंने असम सरकार से मांग की कि प्रदेश में जो पुरानी और ऐतिहासिक मस्जिदें हैं, उनको बचाने के लिए और उनकी नींव मजबूत करने के लिए सरकार को जरुरी कदम उठाना चाहिए.
लोगों ने यह भी सवाल उठाया कि जब सरकार दूसरी ओर कथित “अवैध निर्माणों” पर बुलडोजर चला रही है, तो यहां प्राकृतिक आपदा से हो रहे नुकसान को लेकर इतनी उदासीन क्यों है? वैसे बारिश के मौसम में भू-कटाव की बात कोई नई बात नहीं है. इससे पहले भी असम में कई जगहों पर भू-कटाव की वजह से धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों को नुकसान पहुंचा है, जबकि हजारों लोग बेघर हो चुके हैं.