बस्तर की प्लास्टिक सड़क का सच, पहली बारिश में उखड़ी, ग्रामीणों में आक्रोश

छत्तीसगढ़ : बस्तर जिले के कालागुड़ा-क़ावापाल मार्ग पर प्लास्टिक कचरे से बनी सड़क, जिसे पर्यावरण अनुकूल और टिकाऊ बताकर मुख्यमंत्री के ट्विटर हैंडल पर खूब वाहवाही बटोरी गई थी, अब विवादों के घेरे में है। जून 2025 में तैयार हुई यह सड़क पहली ही बारिश में धराशाई हो गई, जिससे ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा है। यह सड़क, जो प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत 96.49 लाख रुपये की लागत से बनी थी, अब गुणवत्ता और निगरानी पर सवाल उठा रही है। 5.5 किलोमीटर लंबी इस सड़क के निर्माण में लगभग 500 किलो प्लास्टिक कचरे का उपयोग किया गया था। इसे पर्यावरण संरक्षण और नवाचार का मॉडल प्रोजेक्ट बताकर खूब प्रचारित किया गया। लेकिन मात्र एक महीने में ही सड़क की सतह उखड़ गई, और जगह-जगह गड्ढों ने इसकी हकीकत उजागर कर दी। ग्रामीणों का कहना है कि निर्माण के दौरान घटिया सामग्री और लापरवाही की शिकायतें की गई थीं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने उनकी अनदेखी की। अब बारिश ने सड़क की पोल खोल दी है। कालागुड़ा और क़ावापाल के ग्रामीणों ने सड़क की दुर्दशा पर गहरी नाराजगी जताई है। उनका आरोप है कि सिर्फ प्रचार के लिए प्लास्टिक सड़क का ढोल पीटा गया, जबकि गुणवत्ता पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। ग्रामीणों का कहना है कि यह सड़क उनके लिए आवागमन का महत्वपूर्ण साधन थी, लेकिन अब इसके गड्ढों ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

इस मामले पर PMGSY के SDO ने सफाई देते हुए कहा कि सड़क की स्थिति की जांच की जा रही है। निर्माण एजेंसी से जवाब मांगा गया है, और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि यह बयान सिर्फ खानापूर्ति है, क्योंकि निर्माण के समय ही उनकी शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया गया।
जिस सड़क को पर्यावरण संरक्षण और टिकाऊ तकनीक का प्रतीक बताया गया था, उसका पहली बारिश में ही बिखर जाना कई सवाल खड़े करता है। यह मामला न केवल इंजीनियरिंग और निगरानी की खामियों को उजागर करता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि नवाचार के नाम पर सिर्फ प्रचार को प्राथमिकता दी गई। बस्तर की यह जर्जर सड़क अब सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रही है।

बस्तर की प्लास्टिक सड़क की विफलता एक सबक है कि नवाचार और प्रचार से पहले गुणवत्ता और जवाबदेही को प्राथमिकता देना जरूरी है। ग्रामीणों की नाराजगी और सड़क की जर्जर हालत इस बात की गवाही देती है कि बिना ठोस योजना और निगरानी के ऐसे प्रयोग केवल जनता का भरोसा तोड़ने का काम करते हैं। सरकार को चाहिए कि इस मामले की गहन जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करे और भविष्य में ऐसी गलतियों से बचे।

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