‘जो कैदी सजा पूरी कर चुके, उन्हें तुरंत रिहा करें’, SC का राज्यों को अहम निर्देश, छत्तीसगढ़ की जेलों में भी होगी पड़ताल

सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम निर्देश में कहा है कि जो भी कैदी अपनी सजा पूरी कर चुके हैं, उन्हें तुरंत रिहा किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के गृह सचिवों को निर्देश दिया है कि वे इस बात की पुष्टि करें कि सजा पूरी कर चुका कोई कैदी अभी भी जेल में तो बंद नहीं है। अदालत ने ये भी कहा कि अगर कोई ऐसा कैदी पाया जाता है, जिसकी सजा पूरी हो चुकी है और वह किसी अन्य मामले में वांछित नहीं है तो उसे तुरंत रिहा किया जाए। जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस के वी विश्वनाथन की पीठ ने 2002 के नीतीश कटारा हत्याकांड में दोषी पाए गए सुखदेव यादव उर्फ पहलवान की रिहाई का आदेश देते हुए यह निर्देश दिया। पीठ ने कहा कि यादव ने इस साल मार्च में बिना किसी छूट के 20 साल की सजा पूरी कर ली है। पीठ ने कहा, ‘इस आदेश की प्रति रजिस्ट्री द्वारा सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के गृह सचिवों को भेजी जानी चाहिए ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या कोई आरोपी या दोषी सजा की अवधि से अधिक समय तक जेल में तो बंद नहीं है।’
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश की एक प्रति राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव को भेजने का भी निर्देश दिया ताकि इसे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के विधिक सेवा प्राधिकरणों के सभी सदस्य सचिवों को भेजा जा सके और जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों को इस बारे में सूचित किया जा सके। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि यादव को अपनी सजा पूरी करने के बाद रिहा किया जाना चाहिए था। पीठ ने कहा, ‘9 मार्च, 2025 के बाद अपीलकर्ता को और अधिक कारावास में नहीं रखा जा सकता। 10 मार्च, 2025 को ही अपीलकर्ता को उसकी सजा पूरी करने के बाद रिहा किया जाना चाहिए था।’
सुप्रीम कोर्ट की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देशित किया है कि अगर प्रदेश की जेलों में ऐसे कैदी है जिन्होंने तय अवधि की सजा पूरी कर ली है और उसके खिलाफ कोई अन्य मामला नहीं है तो उसे तत्काल रिहाई का आदेश भी दिया है। जेल में बंद एक कैदी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि उसने कोर्ट द्वारा सुनाई गई सजा की अवधि बिना किसी छूट के पूरी कर लिया है। इसके बाद भी उसकी रिहाई नहीं हो रही है। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस केवी विश्वनाथन की डिवीजन बेंच ने एक अभियुक्त की रिहाई का आदेश देते हुए देशभर के राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए यह आदेश जारी किया है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद राज्य व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अफसर छत्तीसगढ़ की जेलों में भी पड़ताल करेंगे। एक पीआईएल की सुनवाई के दौरान बिलासपुर हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच के समक्ष यह तथ्य आया था कि सजा की अवधि पूरी कर लेने के बाद भी ऐसे कैदी अब भी बंद है जो तय शर्तों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। जेल बांड या फिर जमानतदार ना मिलने के कारण ऐसे कैदियों की रिहाई नहीं हो पा रही है।