‘2800 कुत्ते मारे, पेड़ों के नीचे दफनाए..’, विधान परिषद में बयान देकर विवादों में घिरे कर्नाटक के MLC भोजेगौड़ा

कर्नाटक विधान परिषद में जेडीएस सदस्य एसएल भोजेगौड़ा अपने बयान को लेकर विवादों में घिर गए हैं. कारण, परिषद में आवारा कुत्तों के मुद्दे पर चर्चा के दौरान भोजेगौड़ा ने दावा किया कि जब वे चिक्कमगलूर नगर परिषद के अध्यक्ष थे, तब उनके कार्यकाल में 2,800 कुत्तों को मार डाला गया था. उन्होंने यह भी कहा कि इन कुत्तों को पेड़ों के नीचे दफनाया गया ताकि वे प्राकृतिक खाद के रूप में काम कर सकें. उन्होंने यह बयान कुछ हद तक गर्व के अंदाज में दिया, जिसके बाद अब उन्हें जनता और पशु अधिकार कार्यकर्ताओं की कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि भोजेगौड़ा किस समयावधि का जिक्र कर रहे थे. वहीं भोजेगौड़ा के सवाल के जवाब में कर्नाटक सरकार ने कथित तौर पर असहायता जताई. नगर प्रशासन एवं हज मंत्री रहीम खान ने याचिकाओं का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि पशु प्रेमी इस मुद्दे में अड़चन डालते हैं. इसके बाद कई एमएलसी ने कहा कि हर पशु प्रेमी के घर 10-10 कुत्ते छोड़ दिए जाएं.
भोजेगौड़ा ने आगे कहा, “हम रोजाना कुत्तों के काटने के मामले देख रहे हैं और पीड़ित अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं. अगर कोई आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाने का विरोध करता है, तो सरकार उनके घरों में कुछ कुत्ते छोड़ दे ताकि उन्हें असलियत समझ में आ सके. अगर कोई आवारा कुत्ता उनके बच्चों को काट ले तो वे क्या करेंगे?” उनका यह बयान उस समय आया है जब सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर के नगर निकायों को सख्त निर्देश दिए हैं कि आवारा कुत्तों को तुरंत पकड़कर नसबंदी करवाई जाए और स्थायी रूप से शेल्टर में रखा जाए. कोर्ट ने चेतावनी दी है कि इस प्रक्रिया में बाधा डालने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. कोर्ट की कार्ययोजना में सीसीटीवी निगरानी वाले शेल्टर बनाना, छह सप्ताह में संवेदनशील इलाकों से 5,000 कुत्तों को हटाना और कुत्ते के काटने व रेबीज के मामलों के लिए हेल्पलाइन शुरू करना शामिल है.
कर्नाटक स्टेट सर्विलांस यूनिट की संक्रामक रोग रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी से अगस्त 2025 तक राज्य में 2.86 लाख कुत्तों के काटने के मामले और संदिग्ध रेबीज से 26 मौतें दर्ज की गईं. केवल 4 से 10 अगस्त के बीच ही 5,652 डॉग बाइट केस सामने आए, हालांकि उस हफ्ते कोई रेबीज से मौत नहीं हुई.