ब्रह्म मुहूर्त में भी होगी श्रीकृष्ण की पूजा, जानिए जन्माष्टमी का शुभ चौघड़िया मुहूर्त

भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. इसलिए इस दिन को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है. भगवान श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है. इस साल श्रीकृष्ण का 5252वां जन्मोत्सव मनाया जा रहा है. भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और रात्रि में बाल गोपाल के स्वरूप की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं. इस साल श्रीकृष्ण की पूजा का शुभ मुहूर्त रात 12.04 बजे से रात 12.45 बजे तक रहेगा. लेकिन आप दिनभर रहने वाले चौघड़िया मुहूर्त में भी कन्हैया की पूजा कर सकते हैं.
तिथि और समय
इस साल अष्टमी तिथि 15 अगस्त 2025 की रात 11 बजकर 48 मिनट से शुरू हो गई है और 16 अगस्त 2025 की रात 9 बजकर 34 मिनट तक रहेगी. चूँकि उदयातिथि को ही मान्य माना जाता है, इसलिए जन्माष्टमी का पर्व 16 अगस्त, यानी आज मनाया जा रहा है. इस दिन भक्त बाल गोपाल की झांकी सजाते हैं और भगवान को भोग अर्पित करते हैं.
जन्माष्टमी के दिन 16 अगस्त की सुबह से लेकर 17 अगस्त की सुबह तक कई शुभ चौघड़िया मुहूर्त बन रहे हैं. भक्त अपनी सुविधानुसार किसी भी अबूझ मुहूर्त में भगवान की पूजा कर सकते हैं.
लाभ (उन्नति) – दोपहर 02:04 बजे से 03:42 बजे तक
अमृत (सर्वोत्तम) – दोपहर 03:42 बजे से 05:21 बजे तक
लाभ (उन्नति) – शाम 06:59 बजे से 08:21 बजे तक
शुभ (उत्तम) – रात 09:42 बजे से 11:04 बजे तक
अमृत (सर्वोत्तम) – रात 11:04 बजे से 12:25 बजे तक (17 अगस्त)
चर (सामान्य) – रात 12:25 बजे से 01:47 बजे तक (17 अगस्त)
लाभ (उन्नति) – सुबह 04:30 बजे से 05:51 बजे तक (17 अगस्त)
जन्माष्टमी पूजा सामग्री
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पूजन में अक्षत, रोली, हल्दी, पीले फूल, लाल चंदन, केसर, इत्र, दीपक, गाय का घी, दूध, दही, शहद, रुई की बाती, अगरबत्ती, धूप, गंगाजल, पंचामृत, तुलसी के पत्ते, शंख, छोटा कलश और मोरपंख का खास महत्व होता है. इन सभी सामग्रियों के बिना पूजन अधूरा माना जाता है. तुलसी पत्ते और मोरपंख श्रीकृष्ण को अत्यंत प्रिय हैं, वहीं पंचामृत से भगवान का अभिषेक करने पर विशेष पुण्य फल मिलता है.