CG : 19 लाख के इनामी 4 नक्सलियों का आत्मसमर्पण, 16 लाख नकद और हथियार बरामद

छत्तीसगढ़ : गरियाबंद जिले में नक्सल विरोधी अभियान को बड़ी सफलता मिली है। 19 लाख रुपये के इनामी चार नक्सलियों, जिनमें दो पुरुष और दो महिलाएं शामिल हैं। सभी ने सुरक्षा बलों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है। आत्मसमर्पण करने वालों में धमतरी-गरियाबंद-नुआपड़ा डिवीजनल कमेटी के प्रमुख सदस्य दीपक मंडावी उर्फ भीमा, कैलाश उर्फ भीमा भोगाम, रानिता उर्फ पायकी, और सुजाता उर्फ उरें कारम शामिल हैं। इनके पास से 16 लाख रुपये नकद, हथियार, और नक्सली साहित्य बरामद किया गया है। इस घटना को नक्सल संगठनों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है, खासकर जनवरी 2025 में 16 नक्सलियों के मारे जाने के बाद संगठन में आई कमजोरी के बाद।

गरियाबंद पुलिस लाइन में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में रायपुर रेंज के आईजी अमरेश मिश्रा और नक्सल ऑपरेशन के आईजी अंकित गर्ग ने इस सफलता की जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली 2013 से धमतरी-गरियाबंद-नुआपड़ा डिवीजन में सक्रिय थे और कई गंभीर अपराधों में शामिल रहे हैं। इनमें डीवीसीएम (डिवीजनल कमेटी मेंबर) दीपक मंडावी (8 लाख रुपये का इनाम), प्रोटेक्शन टीम का सदस्य कैलाश उर्फ भीमा भोगाम (5 लाख रुपये का इनाम), एरिया कमेटी सदस्य रानिता उर्फ पायकी (5 लाख रुपये का इनाम), और सुजाता उर्फ उरें कारम (1 लाख रुपये का इनाम) शामिल हैं। कुल मिलाकर इन पर 19 लाख रुपये की इनामी राशि थी।

आईजी अमरेश मिश्रा ने बताया कि जनवरी 2025 में छत्तीसगढ़-ओडिशा सीमा पर भालू डिग्गी जंगल में हुए ऑपरेशन में 16 नक्सलियों, जिनमें केंद्रीय समिति सदस्य जयराम उर्फ चलपथी (1 करोड़ रुपये का इनाम) शामिल थे, के मारे जाने से नक्सली संगठन की कमर टूट चुकी है। इस ऑपरेशन के बाद नक्सलियों में भय और अविश्वास का माहौल है।

जिसके चलते कई नक्सली आत्मसमर्पण के लिए मजबूर हो रहे हैं। मिश्रा ने कहा, “नक्सल संगठन अब आर्थिक और मनोवैज्ञानिक रूप से कमजोर हो चुका है। आत्मसमर्पण और बरामदगी इसका सबूत है।” आत्मसमर्पण के बाद नक्सलियों की निशानदेही पर सुरक्षा बलों ने मांद इलाके में छिपाई गई सामग्री बरामद की। इसमें 16 लाख रुपये नकद, 31 जिंदा कारतूस, दो खाली मैगजीन, 8 बीजीएल (बैरल ग्रेनेड लांचर), 12 बोर के राउंड, डेटोनेटर, नक्सली वर्दी, और अन्य नक्सली साहित्य शामिल है।

पुलिस का मानना है कि यह रकम नक्सली संगठन अपनी गतिविधियों, जैसे हथियार खरीद और भर्ती, के लिए जमा करता था। बरामद सामग्री से नक्सलियों की गतिविधियों पर और बड़ा खुलासा होने की संभावना है। सुरक्षा बलों और छत्तीसगढ़ सरकार की ‘नक्सल समर्पण पुनर्वास नीति 2025’ और ‘नियद नेल्लानार’ योजना का इस आत्मसमर्पण में बड़ा योगदान रहा है। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को तत्काल 50,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि और पुनर्वास के लिए अन्य सुविधाएं प्रदान की गई हैं।

आईजी अंकित गर्ग ने बताया कि नक्सलियों में माओवादी विचारधारा के प्रति मोहभंग, आदिवासियों के शोषण, और सुरक्षा बलों की बढ़ती ताकत ने उन्हें मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित किया। नारायणपुर के एसएसपी प्रभात कुमार ने कहा, “नक्सल मुक्त मांद अभियान और पुनर्वास नीति से नक्सलियों का मनोबल टूट रहा है। यह छत्तीसगढ़ को मार्च 2026 तक नक्सल मुक्त बनाने के लक्ष्य की दिशा में बड़ा कदम है।”

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