‘मुझे लगता है हनुमानजी थे…’, सबसे पहले अंतरिक्ष में जाने के दावे पर घिरे अनुराग ठाकुर

बीजेपी के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने अपने एक्स हैंडल पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें वह स्कूली स्टूडेंट्स के सामने भाषण दे रहे हैं. इस दौरान वह पूछते हैं, “अंतरिक्ष की यात्रा करने वाला पहला शख्स कौन था?” इस पर बच्चों ने एक स्वर में जवाब दिया, “नील आर्मस्ट्रॉन्ग!” बच्चों के जवाब के बाद अनुराग ठाकुर कहते हैं, “मुझे तो लगता है हुनुमान जी थे.” उनके इस बयान की डीएमके सांसद कनिमोझी ने आलोचना की है. डीएमके सांसद कनिमोझी ने एक एक्स पोस्ट में कहा, “एक सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री द्वारा स्कूली बच्चों से यह पूछना कि चांद पर सबसे पहले किसने कदम रखा था, और इस बात पर जोर देना कि वह नील आर्मस्ट्रांग नहीं, बल्कि हनुमान थे, बेहद परेशान करने वाला है. विज्ञान कोई मिथक नहीं है. कक्षाओं में युवाओं को गुमराह करना ज्ञान, तर्क और हमारे संविधान में निहित वैज्ञानिक सोच की भावना का अपमान है. भारत का भविष्य जिज्ञासा को पोषित करने में निहित है, न कि तथ्य को मिथक समझने में.”

अंतरिक्ष में सबसे पहले कौन गया? वाले सवाल पर असल में ना तो बच्चों के और ना ही अनुराग ठाकुर का ही जवाब सही था. अंतरिक्ष में जाने वाले पहले इंसान सोवियत कॉस्मोनॉट यूरी गागरिन थे, जिन्होंने 1961 में पृथ्वी की परिक्रमा की थी. वहीं नील आर्मस्ट्रॉन्ग वो शख्स थे, जिन्होंने 1969 में चंद्रमा पर पहली बार कदम रखा था. यानी इससे स्पष्ट है कि यहां दोनों तरफ से गलतियां हुईं – पहले तो बच्चों ने गलत जवाब दिया, और फिर बीजेपी सांसद ने भी बिना सुधार किए, मिथक को विज्ञान और इतिहास की जगह रख दिया.

अनुराग ठाकुर ने अपने बयान को आगे बढ़ाते हुए कहा, “यह दिखाता है कि हमारी परंपरा, नॉलेज और कल्चर कितने पुराने और महत्वपूर्ण हैं. अगर हम अपने बारे में नहीं जानेंगे तो हम ब्रिटिशर्स की पढ़ाई तक ही सीमित रह जाएंगे. हमें टेक्स्टबुक से बाहर सोचना होगा और अपनी परंपरा और ज्ञान को देखना होगा.” समस्या यह है कि मिथक और इतिहास को गड़बड़ करने से बच्चों की सोच उलझ सकती है. एक्सपर्ट्स कहते हैं कि मिथकों को जरूर पढ़ाया जाना चाहिए, लेकिन उन्हें माइथोलॉजी के रूप में ही पेश करना चाहिए. इतिहास वहीं बनता है जहां साहित्यिक संदर्भों के साथ-साथ ठोस आर्केलॉजिकल डॉक्यूमेंट्स मौजूद हों. इस बीच, अनुराग ठाकुर के बयान पर सोशल मीडिया पर भी प्रतिक्रियाएं आईं. किसी ने मजाकिया अंदाज में कहा कि पहले अंतरिक्ष यात्री हिरण्याक्ष थे, जिन्होंने पृथ्वी को छिपाया था. यानी मिथक से कई और दावे किए जा सकते हैं, लेकिन जब तक उनका ठोस सबूत न हो, तब तक इतिहास वही रहेगा जिसे विज्ञान ने सिद्ध किया है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *