कारगिल विजय दिवस पर द्रास में सेना का कार्यक्रम, दो दिनों तक चलेगा, 3 केंद्रीय मंत्री आज शहीदों को श्रद्धांजलि देंगे

कारगिल विजय दिवस की 26वीं वर्षगांठ पर लद्दाख के कारगिल स्थित द्रास में सेना का आज शुक्रवार से दो दिनों का कार्यक्रम होगा। इसमें 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी घुसपैठियों के साथ लड़ाई में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। कारगिल विजय दिवस के अवसर पर, रक्षा राज्य मंत्री सहित तीन केंद्रीय मंत्री आज द्रास में कारगिल युद्ध स्मारक का दौरा करेंगे और वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि देंगे। पिछले साल, 25वें कारगिल विजय दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी ने लद्दाख में जंग के नायकों को श्रद्धांजलि दी थी

5 मई 1999 को पाकिस्तान की घुसपैठ के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल की पहाड़ी चोटियों पर जंग हुई थी। युद्ध करीब 84 दिनों तक चला। 26 जुलाई 1999 को भारत की जीत के साथ युद्ध आधिकारिक तौर पर खत्म हुआ। इसमें भारतीय सैनिकों के बलिदान और वीरता को याद करते हुए हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है।

कारगिल की लड़ाई की शुरुआत तब हुई, जब पाकिस्तानी सैनिकों ने कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर चुपचाप कब्जा कर अपने ठिकाने बना लिए थे। 8 मई 1999 को कारगिल की आजम चौकी पर पाकिस्तान के करीब 12 जवानों ने कब्जा कर लिया था। शुरुआत में इसे घुसपैठियों द्वारा किया गया हमला बताया गया था, लेकिन बाद में यह साफ हो गया कि इसमें पाकिस्तानी सेना शामिल थी। इन पाकिस्तानी सैनिकों को एक भारतीय चरवाहे ने देख लिया था। इस चरवाहे ने भारतीय सेना के जवानों को पाकिस्तानी सैनिकों के घुसपैठ की सूचना दी। इस तरह भारत को पहली बार घुसपैठ की जानकारी मिली। पहले भारत समझ रहा था कि थोड़े बहुत आतंकियों ने ही कश्मीर की घाटी पर कब्जा किया है, इसलिए भारत ने चंद सैनिकों को ही इन्हें खदेड़ने के लिए भेजा। जब भारतीय सेना पर अलग-अलग चोटियों से जवाबी हमले हुए तब पता चला कि ये एक बड़ी साजिश का हिस्सा है। तत्काल भारतीय रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस ने अपना रूस दौरा रद्द कर दिया। इसके बाद ऑपरेशन विजय लॉन्च किया गया। पाक सैनिक ऊंची पहाड़ियों पर बैठे थे, इस वजह से भारतीय सैनिकों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।

भारतीय जवानों ने दुश्मन की नजर से बचने के लिए रात में मुश्किल चढ़ाई की। शुरुआत में भारतीय सेना को इसी वजह से खासा नुकसान उठाना पड़ा था। इस युद्ध में वायुसेना और नौसेना की भी बड़ी भूमिका रही। वायुसेना ने मिग-29 और मिराज- 2000 विमानों के जरिए पाक सैनिकों पर बम बरसाए। इस दौरान पाकिस्तान ने हमारे दो लड़ाकू विमान मार गिराए थे जबकि एक क्रैश हो गया था।

नौसेना ने ऑपरेशन तलवार चलाया। इसके तहत कराची समेत कई पाक बंदरगाहों के रास्ते रोक दिए गए ताकि वह कारगिल युद्ध के लिए जरूरी तेल और ईंधन की सप्लाई न कर सके। साथ ही भारत ने अरब सागर में अपने जहाजी बेड़े को लाकर पाकिस्तान के समुद्री व्यापार रास्ते को भी बंद कर दिया था। इस युद्ध में एक निर्णायक मोड़ तब आया जब भारत ने बोफोर्स तोपों को भी युद्ध मैदान में उतारने का फैसला लिया। आसमान से वायुसेना का हमला और जमीन से बोफोर्स तोप के भारी-भरकम गोलों ने पाकिस्तानी सैनिकों को भागने पर मजबूर कर दिया।

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