11,000 करोड़ का बैंक फ्रॉड, 800 शेल कंपनियां और 5000 खाते, ED के शिकंजे में…
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने नागपुर जोनल ऑफिस की कार्रवाई में कॉरपोरेट पावर लिमिटेड और इसके प्रमोटर्स की 67.79 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्तियां जब्त की हैं. ये कार्रवाई 11 हजार करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी के मामले में की गई है. ED के मुताबिक जिन लोगों की संपत्तियां जब्त की गई हैं, उनमें कंपनी के डायरेक्टर्स मनोज जयसवाल, अभिजीत जयसवाल, अभिषेक जयसवाल और उनके करीबी संतोष जैन के नाम जुड़े हैं. जब्त की गई संपत्तियां महाराष्ट्र, कोलकाता, दिल्ली और आंध्र प्रदेश में फैली हुई हैं. इनमें जमीन, बिल्डिंग, फ्लैट, कमर्शियल स्पेस और बैंक बैलेंस शामिल हैं. जांच एजेंसी का कहना है कि ये संपत्तियां अवैध कमाई से खरीदी गई थीं. ED ने ये जांच CBI की एक FIR के आधार पर शुरू की थी, जो कॉरपोरेट पावर लिमिटेड और उसके डायरेक्टर्स के खिलाफ दर्ज की गई थी. आरोप है कि कंपनी ने अभिजीत ग्रुप के नाम पर झारखंड में 1080 मेगावाट का कोयला आधारित पावर प्रोजेक्ट लगाने के लिए बैंक से लोन लिया था, लेकिन उसने गलत दस्तावेज़ और फर्जी आंकड़े दिखाकर यह कर्ज हासिल किया और फिर पैसों को इधर-उधर कर दिया.
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत के अनुसार कंपनी ने प्रोजेक्ट की लागत गलत बताकर कई बैंकों से कर्ज लिया. फिर उस लोन की रकम को 800 से ज्यादा शेल कंपनियों और 5000 बैंक खातों के जरिए घुमाया और गबन किया. नतीजा ये हुआ कि कंपनी का खाता 2013-14 में NPA (नॉन परफॉर्मिंग एसेट) बन गया और बैंक को करीब 11,379 करोड़ रुपये (ब्याज सहित) का नुकसान हुआ.
इससे पहले ED ने नागपुर, कोलकाता और विशाखापट्टनम में कई जगहों पर छापेमारी की थी. उस दौरान एजेंसी ने महत्वपूर्ण दस्तावेज़, डिजिटल डिवाइस, कैश, शेयर, म्यूचुअल फंड्स और फिक्स्ड डिपॉजिट्स जब्त किए थे. अब तक इस केस में ED कुल 571 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच या फ्रीज कर चुकी है. ED का कहना है कि इस मामले में आगे की जांच अभी जारी है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि बाकी रकम किन चैनलों से ट्रांसफर या छिपाई गई थी.
