‘मोदी जी गाली का हिसाब रखते हैं, लेकिन ट्रंप के सीजफायर के दावे का कोई हिसाब नहीं…’, राज्यसभा में बोले खड़गे

राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हम तो पाकिस्तान की निंदा पहले भी करते रहे हैं, लेकिन आप बिना बुलाए वहां जाकर गले लगा लेते हैं. आप खुद ही ऐसी चीजें करते हो, और दूसरों को पाठ पढ़ाते हो. आप अगर सीरियस हो तो दूसरों पर टीका करने की जरूरत नहीं है. हमारा इतिहास बड़ा लंबा है. आपने सिर्फ झूठ के कारखाने बनाए हैं, पब्लिक सेक्टर नहीं. आप उनकी ही कहानियां बताएंगे, जो हमने बनाया था. नेहरू जी को गालियां देते वक्त तालियां बजाते हैं. यही लोग जब बच्चे थे, 14 नवंबर को कहते थे, चाचा नेहरू आए. सच बताइए, सच सुनिए, तभी कुछ निकलेगा. उन्होंने कहा कि मैंने पहले भी पूछा था लिखित में कि क्या आपको पहले से पता था कि कुछ होने वाला है, क्योंकि आप वहां जाने वाले थे और दौरा रद्द कर दिया था. सरकार को सच सुनने का साहस दिखाना चाहिए. इस पर नेता सदन जेपी नड्डा ने आपत्ति की और इसे एक्सपंज करने की मांग की. उन्होंने कहा कि अगर कुछ गलत है तो सरकार खारिज कर दे. हमने संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की थी, लेकिन कहा गया कि समय आने पर जवाब देंगे. कहा जा रहा है कि हमने देर से किया, अच्छा किया. अरे आपके पास पत्र पढ़ने की, लिखने की फुर्सत नहीं है. इतना घमंड अच्छा नहीं है. मोदी साहब सर्वदलीय मीटिंग में भी नहीं थे. पीएम उस समय समय कहां थे, वह बिहार चुनाव में प्रचार कर रहे थे. मोदी साहब को इस सदन में या उस सदन में बैठना चाहिए था. सुनना चाहिए था. सुनने की क्षमता जब नहीं है, तुम कुर्सी पर बैठने के लायक नहीं हो. क्या यही तुम्हारी देशभक्ति है.

मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार और प्रधानमंत्री को लेकर सवाल उठाए और कहा कि क्या राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति यही निष्ठा है? जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पहलगाम की घटना को इंटेलिजेंस फेल्योर बताया और कहा कि हम इसकी जिम्मेदारी लेते हैं. इंटेलिजेंस तो गृह मंत्री के अंदर आता है. इसकी जिम्मेदारी उनको लेनी चाहिए और इस्तीफा देना चाहिए. क्या एलजी ने यह बयान गृह मंत्री को बचाने के लिए कहा या गृह मंत्री ने उनसे यह कहने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि बीजेपी की सरकार में पांच बार पहलगाम में हमला हुआ, बीजेपी सरकार ने सबक नहीं लिया. अभी बताया गया कि तीन आतंकी कल मारे गए. ये मास्टरमाइंड के बारे में कल कहा था, आज इसके बारे में कहा है. अरे ये भी तो बताओ कि बाकी जो बचे हैं, उनको कब ढूंढ निकालोगे. खड़गे ने कहा कि गृह मंत्री जी कह रहे थे, कांग्रेस ने ये किया, कांग्रेस ने वो किया. अरे एक ही गोली पर कब तक जिंदा रहोगे. आपने क्या किया, ये बताओ. उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कहा कि हमने सीडब्ल्यूसी की बैठक में प्रस्ताव पारित किया, जय हिंद यात्रा निकाली सेना के सम्मान में. हमने कहा कि ये राजनीति करने का समय नहीं है. एकजुटता के

मल्लिकार्जुन खड़गे ने राज्यसभा में मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री विजय शाह का नाम लिए बिना कहा कि इनके एक मंत्री ने कहा कि जिन्होंने हमारी बहन-बेटियों को सिंदूर उजाड़ा था, उन्हीं की बहन कर्नल सोफिया कुरैशी को भेजकर उनकी ऐसी-तैसी करा दी. सुप्रीम कोर्ट ने भी इसका खंडन किया. नड्डा साहब क्या इसका खंडन करेंगे. उन्होंने कहा कि विदेश सचिव पर निजी हमले किए गए. मेजर नरवाल की विधवा को ट्रोल किया गया. देशभक्ति पर बड़ी बातें करने में मोदी का जोर नहीं, देशभक्ति का ठेका सिर्फ इन्होंने लिया है. लोग झूठी बातों को गंभीरता से नहीं लेंगे. किसी को दोष देकर खुद को बचाना चाह रहे हैं. पहलगाम के जवाब में ऑपरेशन सिंदूर चलाया. सेना ने जोरदार अटैक किया. हम फ्रंटफुट पर थे, पाकिस्तान ने घुटने टेक दिए थे. ऐसा आपका कहना है. अचानक युद्ध विराम की घोषणा हुई. सवाल है कि घोषणा किसने की, कहां से हुई. इसकी घोषणा हमारे प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री ने नहीं की. अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने वाशिंगटन से इसकी घोषणा की और दावा किया कि मैंने युद्ध रुकवाया. लेकिन ये मानने के लिए तैयार नहीं हैं. राष्ट्रपति ट्रंप 29 बार ये बात दोहरा चुके हैं, ?

मल्लिकार्जुन खड़गे ने रक्षा मंत्री का जिक्र करते हुए कहा कि ये झंझट में नहीं पड़ते. इस पर राजनाथ सिंह ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि विदेश मंत्री ने दूसरे सदन में यह स्पष्ट किया है कि पीएम और राष्ट्रपति ट्रंप की कोई बातचीत नहीं हुई है. किसी के दबाव में यह सीजफायर नहीं हुआ है. पाकिस्तान के डीजीएमओ आए थे और तब इसे स्थगित किया गया. खड़गे ने कहा कि अभी गृह मंत्री आएंगे बोलने, हम प्रधानमंत्री से सवाल पूछ रहे हैं. कुछ उनके लिए भी छोड़िए. हमारी पॉलिसी है कि हम थर्ड पार्टी को एंटरटेन नहीं करेंगे. मोदी जी को क्या हुआ, इतना चर्चा हो रहा है. यहां नहीं, वहां नहीं, क्या आकाश में बैठे हैं क्या. किन शर्तों पर सीजफायर हुआ और फ्रंटफुट पर होने के बावजूद क्यों स्वीकार किया. क्या अमेरिका ने सीजफायर कराया और हां तो क्या ये भारत की मध्यस्थता के खिलाफ नीति के विपरीत नहीं है. क्या ये परमाणु ब्लैकमेलिंग के कारण सीजफायर हुआ. प्रधानमंत्री आकर बोलें, बाहर तो बहुत बोलते हैं. विदेश मंत्री तो चले गए, रक्षा मंत्री हैं. पहलगाम हमले के बाद जो कुछ हुआ, मोदी जी की विदेश नीति गले पड़ जाना, हाथ मिलाना, फोटो खिंचवाना ही है. इसकी पोल खुल गई है.

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