कोयला घोटाला : सौम्या, रानू समेत 6 आरोपी जेल से रिहा, छत्तीसगढ़ से बाहर रहेंगे, इन शर्तों के साथ मिली जमानत..

कोयला लेवी घोटाले में फंसे छत्तीसगढ़ के निलंबित आईएएस अधिकारी रानू साहू, कारोबारी सूर्यकांत तिवारी और पूर्व सीएमओ सौम्या चौरसिया को सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने गुरूवार को बड़ी राहत देते हुए सख्त शर्तों के साथ अंतरिम जमानत दे दी थी। वहीं जमानत मिलने के बाद आज यानी शनिवार को सौम्या चौरसिया और रानू साहू समेत कुल 6 आरोपी जेल से रिहा हो गए हैं। इतना ही नहीं समीर विश्नोई भी जेल से बाहर निकले हैं। सौम्या चौरसिया और रानू साहू के परिजन उन्हें लेने के लिए जेल परिसर पहुंचे थे। सूर्यकांत समेत कुल 3 लोगों को DMF घोटाले में जमानत नहीं होने के चलते जेल में ही रहना होगा। मिली जानकारी के अनुसार, सौम्या चौरसिया 2 साल 5 महीना 29 दिन तक जेल रही। वहीं निलंबित आईएएस रानू साहू 1 साल 10 महीना 9 दिन और निलंबित आईएएस समीर बिश्नोई 2 साल 7 महीना 18 दिन बाद जेल से बाहर से निकले हैं।
वकील फैसल रिजवी ने जानकारी दी कि सुप्रीम कोर्ट में इस बात को लेकर बहस हुई कि 2.5 साल बाद भी विवेचना जारी है। प्रकरण में चार्ज लगी नहीं है, जिसे देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बेल दी है और शर्त रखी है कि सभी 6 आरोपियों के पासपोर्ट न्यायालय में जमा रहेंगे। आगामी आदेश तक छत्तीसगढ़ राज्य से बाहर रहेंगे और अपना पता जांच एजेंसी को देंगे। ED का आरोप है कि कोयले के परिचालन, ऑनलाइन परमिट को ऑफलाइन करने समेत कई तरीकों से करीब 570 करोड़ रुपए से अधिक का कोयला घोटाला किया गया है। इस मामले में 36 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। कोल परिवहन में कोल व्यापारियों से वसूली करने के लिए ऑनलाइन मिलने वाले परमिट को ऑफलाइन करने का आदेश खनिज विभाग के तत्कालीन संचालक आईएएस समीर विश्नोई ने 15 जुलाई 2020 को जारी किया था। सिंडिकेट बनाकर अवैध वसूली की जाती थी. पूरे मामले का मास्टरमाइंड कोल व्यापारी सूर्यकांत तिवारी को माना गया। जो व्यापारी 25 रुपए प्रति टन के हिसाब से अवैध रकम सूर्यकांत के कर्मचारियों के पास जमा करता था उसे ही खनिज विभाग पीट पास और परिवहन पास जारी करता था। इस तरह से स्कैम कर कुल 570 करोड़ रुपए की वसूली की गई। ईडी की रेड में पहले आईएएस समीर बिश्नोई फिर कोल कारोबारी सूर्यकांत तिवारी को गिरफ्तार किया गया था।
ED की रिपोर्ट के आधार पर EOW ने धारा 120 बी 420 के तहत केस दर्ज किया है। इस केस में यह तथ्य निकलकर सामने आया है कि डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड कोरबा के फंड से अलग-अलग टेंडर आवंटन में बड़े पैमाने पर आर्थिक अनियमितताएं की गईं है। टेंडर भरने वालों को अवैध लाभ पहुंचाया गया। ED के तथ्यों के मुताबिक टेंडर करने वाले संजय शिंदे, अशोक कुमार अग्रवाल, मुकेश कुमार अग्रवाल, ऋषभ सोनी और बिचौलिए मनोज कुमार द्विवेदी, रवि शर्मा, पियूष सोनी, पियूष साहू, अब्दुल और शेखर के साथ मिलकर करोड़ों रुपए कमाए गए।
ED की जांच से पता चला कि ठेकेदारों ने अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं को भारी मात्रा में कमीशन का भुगतान किया है, जो कांट्रैक्ट का 25% से 40% तक था। रिश्वत के लिए दी गई रकम की एंट्री विक्रेताओं ने आवासीय (अकोमोडेशन) के रूप में की थी। एंट्री करने वाले और उनके संरक्षकों की तलाशी में कई आपत्तिजनक विवरण, कई फर्जी स्वामित्व इकाई और भारी मात्रा में कैश बरामद हुआ है। तलाशी अभियान के दौरान 76.50 लाख कैश बरामद किया गया। वहीं 8 बैंक खाते सीज किए. इनमें 35 लाख रुपए हैं। इसके अलावा फर्जी डमी फर्मों से संबंधित विभिन्न स्टाम्प, अन्य आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस भी जब्त किए गए हैं।