‘कांग्रेस का ब्लंडर, पार्टीशन स्वीकार नहीं करते तो आज नहीं होता पाकिस्तान…’, लोकसभा में बोले अमित शाह

केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा मोहम्मद यूसुफ अजहर, मोहम्मद जमील समेत इस ऑपरेशन में मारे गए. उन्होंने आतंकियों के नाम भी सदन में गिनाए और कहा कि कल ये (विपक्षी सांसद) मुझसे पूछ रहे थे कि पहलगाम के दोषी कहां गए. ये 10 जो नाम पढ़े हैं, उनमें से आठ चिदंबरम एंड कंपनी के जमाने में आतंकी घटनाएं घटाते थे. इन्हें हमारी सेना ने चुन-चुनकर मारा है. उन्होंने कहा कि राजनाथ जी बोले हैं, वो ऑथेंटिक शब्द हैं. इसको मैं बढ़ा नहीं सकता. कम से कम सौ आतंकी मारे गए.
अमित शाह ने बताया कि 7 मई को 1 बजकर 26 मिनट पर हमारा काम समाप्त हो गया था. हमारे डीजीएमओ ने उनके डीजीएमओ को बता दिया कि हमने इन आतंकी ठिकानों पर हमला किया है. मनमोहन सिंह की तरह ऐसा नहीं हो सकता कि वो हम पर हमला करें और हम चुपचाप बैठे रहें. हमने आतंकी ठिकानों पर जो हमला किया, उसे पाकिस्तान ने अपने ऊपर हमला मान लिया. उससे ये गलती हो गई. गृह मंत्री ने बताया कि दूसरे दिन इनकी श्रद्धांजलि का कार्यक्रम हुआ और सेना के आला अफसर वहां उपस्थित हुए और कंधा दिया. सिंदूर ने पाकिस्तान को पूरी दुनिया में एक्सपोज कर दिया कि पाकिस्तान का आतंक स्टेट स्पांसर टेररिज्म है. आठ मई को पाकिस्तान ने हमारे सैन्य ठिकानों पर हमला किया लेकिन कोई मिसाइल ठिकाने पर नहीं पहुंची.
अमित शाह ने कहा कि बहुत नजदीक से की गई गोलाबारी में हमारे कुछ गुरुद्वारे और धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचा. उन्होंने कहा कि हमारे कुछ नागरिक भी हताहत हुए. उन्होंने अगले दिन भारत की जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान के छह रडार सिस्टम ध्वस्त किए जाने की जानकारी दी और ध्वस्त किए गए एयरबेस के नाम भी गिनाए. अमित शाह ने कहा कि उनके रिहायशी इलाकों पर हमले के बावजूद हमने ऐसा नहीं किया. हमने उनकी हमला करने की क्षमता को पंगू कर दिया. पाकिस्तान के पास शरण में आने के अलावा कोई चारा ही नहीं था. इसलिए 10 मई को पाकिस्तान के डीजीएमओ ने हमारे डीजीएमओ को फोन किया और शाम पांच बजे हमने संघर्ष विराम किया. युद्ध करना या न करना सोच कर करना पड़ता है. अमित शाह ने कहा सरदार पटेल के विरोध के बावजूद पंडित नेहरू के यूएन चले जाने, सिंधु समझौते का भी जिक्र किया और कहा कि इंदिरा जी ने पाकिस्तान के दो टुकड़े किए. यह बहुत बड़ी विजयी थी और हम सब भी इस पर गर्व करेंगे लेकिन युद्ध की चकाचौंध में हुआ क्या. शिमला में समझौता हुआ, पीओके मांगना ही भूल गए. अगर उस वक्त पीओके मांग लेते, तो ना रहता बांस न बजती बांसुरी. पीओके तो मांगना ही भूल गए, 15 हजार वर्ग किलोमीटर की जीती जमीन भी दे दी.
#WATCH | दिल्ली: कांग्रेस नेता पी चिदंबरम के बयान पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “मुझे बहुत दुख हुआ कि कल इस देश के पूर्व गृह मंत्री चिदंबरम जी ने सवाल उठाया कि क्या सबूत है कि ये आतंकी पाकिस्तान से आए थे। वे क्या कहना चाहते हैं? किसे बचाना चाहते हैं? पाकिस्तान को बचाकर… pic.twitter.com/0ucyp1nQGW
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 29, 2025
गृह मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान के 195 अधिकारियों पर युद्ध अपराध का मुकदमा चलना था, भुट्टो उन्हें इंदिरा जी के सामने से छुड़ाकर ले गया. जनरल मानेकशॉ ने कहा कि भुट्टो ने भारत के नेतृत्व को मूर्ख बनाया. ये हमको सिखा रहे हैं कि ये नहीं किया, वो नहीं किया. अरे भाई आप तो पाकिस्तान को क्लीनचिट दे रहे हो, आपको अधिकार ही नहीं है पूछने का. कनिमोझी जी कह रही हैं कि हमने नहीं दिया है. जिनके साथ आप बैठे हो, उनका अपराध तो आपके सिर पर आएगा न. किसी को कोई अधिकार नहीं है आतंकवाद पर बोलने का. उन्होंने कहा कि 1971 के बाद हमने पीओके मांगना छोड़ दिया था. 62 के युद्ध में क्या हुआ, अभी कल कुछ कांग्रेस के सदस्य चीन का सवाल पूछ रहे थे.
अमित शाह ने कहा, “मैं आज पूछना चाहता हूं, 62 के युद्ध में क्या हुआ. 30 हजार वर्ग किलोमीटर अक्साई चिन का हिस्सा चीन को दे दिया गया. उस पर सदन में नेहरू जी ने कहा कि वहां घास का एक तिनका नहीं उगता, उस जगह का क्या करेंगे. उनका सिर मेरे जैसा था. एक सदस्य ने कहा कि आपके सिर पर भी एक भी बाल नहीं है, उसे चीन भेज दें क्या.”
अमित शाह ने कहा सुरक्षा परिषद की सदस्यता के अमेरिकी प्रस्ताव को नेहरू ने यह कहकर ठुकरा दिया कि हम इसे स्वीकार नहीं सकते. इससे चीन जैसे महान देश को बुरा लगेगा. राजीव गांधी फाउंडेशन ने क्या एमओयू किया था, चीन के साथ, ये तो बताओ भाई. जब डोकलाम में हमारे सैनिक चीन के सामने आंख में आंख डालकर बैठे थे, तब राहुल गांधी चीनी राजदूत के साथ मीटिंग कर रहे थे. तीन-तीन पीढ़ी तक चीन प्रेम गांधी परिवार का उतर नहीं रहा. पाकिस्तान कांग्रेस का ब्लंडर है.
पार्टिशन स्वीकार नहीं करते, पाकिस्तान कभी नहीं होता. ये टेररिज्म की बात करते हैं. 20 साल की स्थिति से अवगत कराना चाहता हूं. अटल जी की सरकार ने 2002 में टेररिज्म समाप्त करने के लिए पोटा कानून लेकर आई. इसे समाप्त किसने किया, कांग्रेस ने. हमारे पास राज्यसभा में बहुमत नहीं था. पोटा कानून संयुक्त सत्र बुलाकर पारित कराना पड़ा. पोटा कानून को रोककर किसको बचाना चाहते थे आप. वोट बैंक के लिए पोटा रोककर आपने आतंकियों को बचाने का काम किया. 2004 में आते ही मनमोहन सिंह सरकार ने पहली कैबिनेट में पोटा कानून को रद्द कर दिया. इसके बाद क्या हुआ. 2004 के दिसंबर में पोटा रद्द हुआ, 2005 में रामलला के कैंप पर हमला हुआ. अमित शाह ने मुंबई लोकल ट्रेन से डोडा, लखनऊ, वाराणसी, रामपुर सीआरपीएफ कैंप, आर्मी कै काफिले से लेकर पुणे की जर्मन बेकरी तक, आतंकी हमले गिनाए और मृतकों की संख्या भी बताई.