नई दिल्ली : भारत में महंगाई की दर पिछले तीन तिमाही से उच्च लेवल पर बनी हुई है. भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति गुरुवार को इस बारे में चर्चा करने के लिए बैठेगी कि भारतीय रिजर्व बैंक अब तक महंगाई पर काबू पाने में क्यों विफल रहा है. पिछले लगातार 9 महीने से देश में महंगाई की दर ऊंचे स्तर पर बनी हुई है और अब आरबीआई को सरकार को इस बारे में जवाब देना है कि उसने महंगाई पर काबू पाने के लिए क्या कदम उठाए हैं. भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस बारे में ज्यादा खुलासा नहीं किया. उन्हें एक पत्र लिखकर सरकार को इस बारे में बताना है कि पिछले 9 महीने से महंगाई की दर ऊंचे लेवल पर क्यों बनी हुई है.
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास का कहना है कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की वजह से दुनिया भर में महंगाई बढ़ी है. 24 फरवरी के बाद से दुनिया भर में महंगाई में तेज वृद्धि देखी गई है. फरवरी में रूस द्वारा यूक्रेन पर किए गए हमले के बाद बैंक ऑफ जापान से लेकर यूरोपीय सेंट्रल बैंक तक महंगाई पर काबू पाने में विफल रहे हैं. जब महंगाई की चोट शुरू हो गई तब उन्होंने बचाव के उपाय करने शुरू किए हैं.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने महंगाई के आंकड़े हाथ से निकलते देखकर रेपो रेट में बढ़ोतरी नहीं करने की नीति का बचाव किया है. उन्होंने कहा कि अगर समय से पहले ब्याज दर में वृद्धि शुरू हो जाती तो अर्थव्यवस्था की ग्रोथ रेट घट जाती. इससे इकनोमी और लोगों पर भारी बोझ पड़ता. दास ने बैंकरों के वार्षिक एफआईबीएसी सम्मेलन में यह बात कही है.
आरबीआई की इस बात के लिए आलोचना हो रही है कि वह महंगाई को काबू में रखने में नाकाम रहा है. केंद्रीय बैंक को भारत में महंगाई की दर को चार फीसदी तक रखने का लक्ष्य दिया गया है, यह दो फीसदी तक ऊपर नीचे हो सकती है. इस साल महंगाई की दर लगातार छह फीसदी के ऊपर बनी हुई है.
जानकारों का कहना है कि अगर आरबीआई ने समय पर रेपो रेट में वृद्धि की होती तो महंगाई पर काबू पाया जा सकता था. आरबीआई इस साल मई से अब तक चार बार रेपो रेट में बढ़ोतरी कर चुका है. चार किस्तों में रेपो रेट में 1.90 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.